Nanda Gaura Yojana: अब नए प्रारूप के साथ करना होगा आवेदन…बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 51 हजार रुपये दिए जाते हैं।

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नंदा गौरा योजना के तहत बेटियों को नए प्रारूप के साथ ही आवेदन करना होगा।  डीएम को मांगे गए प्रमाणपत्र प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ दिन पहले विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने आवेदन की दिक्कतों को देखते हुए प्रारूप में कुछ फेरबदल करने के निर्देश दिए थे। 

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित नंदा गौरा योजना के तहत नए प्रारूप में ही आवेदन मांगे गए हैं। शासन की ओर से आवेदन पत्र के साथ मांगे गए अभिलेखों की सूची भी जारी की गई है। साथ ही बिजली का बिल, पानी का बिल, कार, आवासीय भूखंड, मनरेगा जॉब कार्ड से संबंधित जो सूचनाएं मांगी गई हैं, उनका केवल उल्लेख किया जाना है। इस संबंध में किसी प्रकार का प्रणामपत्र या अभिलेख जमा नहीं करना है।

कुछ दिन पहले विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने आवेदन की दिक्कतों को देखते हुए प्रारूप में कुछ फेरबदल करने के निर्देश दिए थे। शासन की ओर से प्रारूप में फेरबदल तो नहीं किया गया है, लेकिन स्पष्ट किया गया है कि इसमें मांगी गई कुछ जानकारियों के साथ प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है।

यदि किसी के यहां पानी का कनेक्शन नहीं है तो वह प्रारूप में न लिख सकता है। इसके लिए कोई प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है। इस संबंध में शासन की ओर से जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर योजना के लाभार्थियों को मांगे गए प्रमाणपत्र प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने को कहा गया है।

उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद
प्रदेश की बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद करने के लिए करीब एक दशक पूर्व नंदा गौरा देवी योजना शुरू की गई थी। पहले योजना के तहत 25 हजार रुपये दिए जाते थे। कई बार संशोधन के बाद अब इंटर पास करने वाली बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 51 हजार रुपये दिए जाते हैं।

30 नवंबर है आवेदन की अंतिम तिथि
नंदा गौरा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर को समाप्त हो रही है। विभागीय सचिव का कहना है कि तिथि आगे बढ़ाई जा सकती है, लेकिन अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है। 

मंत्री की ओर से आवेदन के प्रारूप में कुछ संशोधन के आदेश दिए गए थे, लेकिन अभी तक विभागीय समिति की ओर से इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। फिलहाल जो प्रमाणपत्र मांगे गए हैं, उन्हें लाभार्थी आसानी से उपलब्ध करा सकते हैं। – हरिचंद्र सेमवाल, सचिव, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग

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