केंद्र और राज्य सरकार की स्वरोजगार और आजीविका से जुड़ी ऋण योजनाओं के हजारों की संख्या में आवेदन रद्द होने से प्रदेश सरकार हरकत में आ गई है। शासन ने उन आवेदनों की बैंक वार सूची मांगी है, जिन्हें लक्ष्य पूरा होने की वजह से लौटा दिया गया है। राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से गरमाया था। बैठक में सचिव वित्त की अध्यक्षता में एक उप समिति बनाई गई थी। उपसमिति की पिछले दिनों हुई बैठक में ऋण आवेदनों के रद्द होने और उन्हें लौटाने के संबंध में कुछ बिंदुओं पर सहमति बनीं। सचिव वित्त दिलीप जावलकर के मुताबिक, बैठक में बनी सहमति का कार्यवृत्त जारी कर दिया गया है।
आवेदन रद्द करने के कारण साफ हों
सचिव वित्त ने कहा कि ऋण आवेदन पत्रों को रद्द करने के कारण स्पष्ट होने चाहिए। साथ ही निर्देश दिए ऋण योजनाओं के प्राप्त आवेदन पत्रों की जांच-परख कर पात्र आवेदक के ही आवेदन बैंकों को भेजे जाएं। ऋण आवेदन पत्रों को वापस करने से पहले जिला स्तरीय चयन समिति के सामने समीक्षा कराए जाने का भी सुझाव दिया गया।
देहरादून में खाता है तो ऋण मंजूर कर दिया जाए
जो आवेदनकर्ता बैंक के सर्विस एरिया में नहीं आते, उनके ऋण आवेदन भी अस्वीकार कर दिए गए। उप समिति की बैठक में यह मसला प्रमुखता से उठा। कहा गया कि ऐसा आवेदक जो देहरादून में रहता है और उसका खाता भी यहीं है और वह चमोली में कारोबार करने के लिए ऋण चाहता है, तो उसे ऋण से वंचित न किया जाए। ऐसे आवेदनों पर बैंक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं और ऋण प्रस्ताव को मंजूरी दें। अपर सचिव पर्यटन सभी बैंकों से इस संबंध में कार्रवाई का अनुरोध किया।
बताना होगा किन दस्तावेजों के कारण आवेदन रद्द हुए
बैंकों ने आवेदन रद्द होने का मुख्य कारण आवेदनकर्ताओं द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत न करना बताया। बैठक में कहा गया कि बैंकों को कारण स्पष्ट करना चाहिए कि किन कारणों से आवेदन रद्द हो रहे हैं। ये कारण स्पष्ट होने चाहिए। बैंकों को दिए जाने वाले इन दस्तावेजों की सूची जिला स्तरीय चयन समिति को पहले उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
ऋण आवेदन पत्रों की समय-सीमा तय हो
बैठक में कहा गया कि बैंक जिन आवेदन पत्रों को रद्द कर देते हैं उनकी समय-सीमा निश्चित होनी चाहिए। बैंकों को ऋण स्वीकृति प्रक्रिया का फुल टर्म अराउंड टाइम(टीएटी) पर होनी चाहिए।
जो ऋण के इच्छुक नहीं, उन्हें वंचित कर दिया जाए
बैठक में उन आवेदन पत्रों के बारे में चर्चा हुई जिन्हें इसलिए रद्द किया गया कि आवेदनकर्ता ऋण प्पा्त करने की इच्छुक नहीं थे। ऐसे मामले में सचिव वित्त का मानना था कि ऋण लेने से मना करने वाले ऐसे आवेदनकर्ताओं को सरकार से प्रायोजदित अनुदान युक्त ऋण योजनाओं से एक या दो वर्ष तक ऋण आवेदन करने से वंचित कर दिया जाए। इस संबंध में पर्यटन व उद्योग विभाग से रिपोर्ट मांगी गई।