Weather: मौसम बिगड़ा तो कई जगह गिरे पेड़, बच्चे व अधिवक्ता समेत तीन की मौत, कई घायल

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कार में सवार हाईकोर्ट के अधिवक्ता तनुज सेमवाल हल्द्वानी से रुद्रपुर जाने के लिए निकले और देवलचौड़ पर आईसक्रीम खरीदी और उसे खाते हुए जा रहे थे। घर से फोन आया तो बताया कि बस पहुंच रहा हूं। रात 10:50 बजे तूफान आया लेकिन उन्होंने रुकने के बजाय घर जाना उचित समझा जो उनकी भारी भूल साबित हुई।

अमर उजाला के सीसीटीवी कैमरे में हादसे का पूरा वाक्या कैद हुआ। इसमें साफ नजर आ रहा है कि मौत से ऐन पहले कुछ सेकेंड रुके और फिर कार जैसे ही आगे बढ़ाई अचानक से यूकेलिप्टस का विशालकाय पेड़ गिरा और कार समेत वह उसके नीचे दब गए।

सूचना पर पहुंचे पुलिस कर्मियों और फायर कर्मियों को सूचना देने के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ और रात 12ः45 बजे कार से तनुज का शव कार से निकाला जा सका।

मंगलवार शाम मौसम बिगड़ने से प्रदेशभर में जगह-जगह पेड़ गिरने से हुए हादसों में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि छह लोग घायल हो गए। ज्वालापुर में कटहरा बाजार सि्थत अंसारी मार्केट में करीब 100 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ था। मंगलवार देर शाम बारिश शुरू हुई तो यहां रेहड़ी लगाने वाले कुछ लोग इसके नीचे खड़े हो गए। रात साढ़े नौ बजे पेड़ अचानक गिर गया। दो घंट के रेस्क्यू में इरफान, समीर और हर्ष को निकाल लिया गया। इरफान गंभीर है, उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।

वहीं, मौके से लापता मुनीर (10 वर्ष) रात करीब पौने एक बजे मलबे में दबा मिला। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। हरिद्वार में ही कोतवाली क्षेत्र स्थित चमगादड़ टापू में भी एक पेड़ गिर गया। इसकी चपेट में आने से सोनीपत निवासी योगेश की मौत हो गई। उधर, हल्द्वानी में रामपुर रोड पर मानपुर पश्चिम में चलती कार पर विशालकाय पेड़ गिर गया, जिससे चालक की मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान हाईकोर्ट के अधिवक्ता तनुज सेमवाल के रूप में हुई है। तनुज पौड़ी के रहने वाले थे और उनकी बेटी रुद्रपुर में रहती है। परिवार नैनीताल के नैनागांव में रहता है। वह आइसक्रीम खाते हुए जा रहे थे, तभी हादसा हो गया। पुलिस पहुंची तो उनकी सांसे थम चुकी थीं, जबकि आइसक्रीम की स्टिक उनके मुंह में दबी थी। दूसरी ओर कोटद्वार सि्थत बुद्धा पार्क के पास सड़क पर दो पेड़ गिर गए। हादसे में एक व्यक्ति घायल हो गया।

व्यवस्था पर सवाल : शहर में हादसा, राहत में लगे तीन घंटे

मौसम विभाग का अंधड़ का अलर्ट होने के बावजूद प्रशासन और पुलिस महकमा सतर्क नहीं था। शहर में हुए हादसे के बाद शव को निकालने में पुलिस को तीन घंटे का समय लगा। समय पर राहत और बचाव कार्य हो गया होता तो शायद.. युवक बच भी सकता था। मगर इसे व्यवस्था का सवाल ही कहेंगे कि तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद राहत और बचाव में इतना अधिक समय लगा। सोचने वाली बात यह है कि यही हादसा दूरस्थ क्षेत्र में होता तो तब कितना समय लगता।

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