महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना जरूरीः राज्यपाल, बेटियों के प्रति भेदभाव को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता आवश्यक

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देहरादून, राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि महिलाओं व बालिकाओं के प्रति भेदभाव की मानसिकता को दूर करने के लिए महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना जरूरी है। इसके लिए महिलाओं हेतु विशेष कौशल विकास कार्यक्रम संचालित करने होंगे। राज्यपाल उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय में गीत एवं नाट्य प्रभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम ‘‘हम हैं बेटियां’’ में सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के माध्यम से एक सामाजिक क्रांति प्रारम्भ की है। कोई भी समाज महिलाओं की प्रगति के बिना पनप नहीं सकता है। इस ऐतिहासिक तथ्य को जानते हुए भी समाज के बहुत से लोगों में बेटियों के प्रति भेदभाव की मानसिकता है। राज्यपाल ने कहा कि जो बात हमारे अंतर्मन से आनी चाहिए, उसे कानून के माध्यम से करना पड़ रहा है। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए कुछ वर्ष पूर्व पी.एन.डी.टी. एक्ट लागू किया गया था। इसमें बहुत सख्त प्राविधान किए गए थे। परंतु बहुत ही कम मामले ऐसे आए जिनमें लोगों द्वारा शिकायत की गई हो। महिलाओं के प्रति संकीर्ण मानसिकता एक सामाजिक समस्या है जिसका निदान कानून का सख्ती से पालन के साथ ही सामाजिक रूप से भी करना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि जब भी मौका मिला, महिलाओं ने स्वयं को साबित किया है। महिलाओं व बालिकाओं में आत्मविश्वास लाने पर बल देते हुए राज्यपाल ने कहा कि इसके लिए महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना होगा। इसमें बालिका शिक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसीलिए ‘बेटी बचाओ’ के साथ ‘बेटी पढ़ाओ’ का आह्वान भी किया गया है। राज्यपाल ने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक सर्वे किया गया था जिसमें पाया गया कि सामाजिक सूचकों में ऐसे बहुत से देश भारत से आगे हैं जो कि आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। वहां महिलाओं को सशक्त करने के विशेष प्रयास किए गए। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने कौशल विकास कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। इसका लाभ महिलाओं को मिल सके, खासतौर पर महिलाओं के लिए विशेष कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति अपराध को रोकने के लिए मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। इसके लिए घरों में ऐसा वातावरण बनाना होगा जिसमें लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना विकसित हो। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हर बेटे बेटी में समान सम्भावनाएं होती हैं। जरूरत है उचित अवसर व संसाधन उपलब्घ करवाने की। बेटियां बेटों से अधिक कामयाब हो रही है। बेटियों के प्रति सोच में बदलाव के लिए महिलाओं को ही आगे आना होगा। कार्यक्रम में राज्यपाल ने आयोजकों की ओर से उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं व भाषण प्रतियोगिता में विजयी रही बालिकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. उदय सिंह रावत सहित अन्य उपस्थित थे।

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