प्रदेश सरकार को वर्तमान सत्र में राजधानी घोषित करने के गैरसैण में आयोजित पिछले सत्र के दौरान किए गए वादे को याद दिलाने के उद्देश्य से लगभग 3500 कार्यकर्ताओं के साथ भराड़ीसैंण में धमके दिवाकर भट्ट से प्रदेश सरकार नजरें चुरा गई। बाजपुर से कुमाऊं मंडल होते हुए मेहलचोरी के रास्ते से लगभग दो हजार समर्थकों के साथ केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट तथा कर्णप्रयाग से सिमली होते हुए दल के संरक्षक श्री त्रिवेंद्र पंवार, जय प्रकाश उपाध्याय तथा देहरादून महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री के साथ गढ़वाल मंडल के लगभग डेढ़ हजार कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर महलचोरी, कुनिया बैंड, देवाली खाल तथा जंगलचट्टी में लगभग आधा दर्जन बैरिकेड बनाए थे। जबकि उत्तराखंड क्रांति दल द्वारा प्रमुख सचिव से मुलाकात करके गैरसैंण में लोकतांत्रिक प्रदर्शन लिए जीआईसी मैदान की मांग करी थी तथा कार्यकर्ताओं को जबरन रोके जाने की स्थिति में हजारों कार्यकर्ताओं के साथ भराड़ीसैंण विधानसभा की सीमाएं दोनों ओर से सील करने की चेतावनी भी दी थी। किंतु प्रचंड बहुमत के नशे में चूर प्रदेश सरकार ने यूकेडी की चेतावनी को हल्के में लेने की भूल कर दी। जिसके कारण हजारों नागरिकों को जगह-जगह लगे जाम के कारण परेशान होना पड़ा। हालांकि यूकेडी कार्यकर्ताओं ने जहां पुलिस,सरकारी अधिकारी, कांग्रेस के विधायक ,भाजपा के विधायक मंत्रियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों को जाम में फंसाए रखा वही कुछ यूकेडी कार्यकर्ता एंबुलेंस एवं मरीजों के वाहनों को सहयोग भी करते रहे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह जंगलचट्टी में लगभग 3:30 बजे तक फंसे रहे। सबसे प्रसन्नता की बात यह रही कि मैदानी मूल के कार्यकर्ताओं ने भी इस बार गैरसैंण आंदोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी करी। जंगल चट्टी में पुलिस द्वारा यूकेडी कार्यकर्ताओं पर बल प्रयोग किया गया जिससे महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री तथा कार्यकर्ता कैलाश राणा चोटिल हो गए। गिरफ्तारी के बाद मालसी स्थित सामुदायिक केंद्र में बनाई गई अस्थाई जेल में उन्होंने उपचार कराया। विधानसभा सत्र के स्थगित होने के बाद सीधे अस्थाई जेल में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने पहुंचे केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने हजारों की संख्या में पहुंचे प्रदेशभर के प्रत्येक कार्यकर्ता का कार्यक्रम की सफलता पर आभार जताते हुए कहा कि अब यह लड़ाई नहीं रुकेगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ों को बसाया जाएगा। पलायन की वजह से जहां पहाड़ों की स्थिति भयावह हुई है ,वही मैदानी क्षेत्रों में व्यवस्थाएं पटरी से नीचे उतरी है।उत्तराखंड राज्य के समग्र विकास का खाका गैरसैंण में बैठकर ही खींचा जा सकता है। उत्तराखंड राज्य की अवधारणा पहाड़ों में ही स्थानीय लोगों को विकास और रोजगार पूरक संसाधन उपलब्ध कराना था। लेकिन राष्ट्रीय दलों की जनविरोधी नीतियों के चलते पहाड़ों में राज्य गठन के बाद और तेजी से पलायन हुआ। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल की कमान संभालने के बाद कार्यकर्ताओं और जनता का जिस तेजी से उन्हें प्यार व सम्मान मिला है।उससे उनका आत्म बल और मजबूत हुआ है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को वापस लौट कर अपने अपने क्षेत्र में राजधानी के मसले पर व्यापक धरने प्रदर्शन करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस आंदोलन को पूरे प्रदेश में चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर के अनेक सामाजिक संगठनों द्वारा राजधानी गैरसैंण की मांग पर उक्रांद के 20 मार्च के घोषित कार्यक्रम में शामिल हो कर 1992 से चली आ रही उक्रांद की मांग को मजबूत किया है।
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