आज कल किसी भी शराब ठेके पर MRP से अधिक शुल्क पर शराब बिकना एक आम बात हो गयी है जिसका संज्ञान लेने का समय सरकार या उसके अधिकृत विभाग आबकारी के पास तो है नही तो हमने सोचा उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था सम्हालने वाली वस्तु का हम ही सुध लेलें तो पहुंच गए ठेके पर आदत अनुसार overrate पर दी बोतल तो हमने बोला 10 रुपये ओर लो जाना तो देह की अर्थवयवस्था के लिए राष्ट्रहित में पर ये बताओ ऐसा क्यों हो रहा है तो उसने विस्तार से बताया क्यों हो रहा overrate पर धंधा ।
आबकारी विभाग के अधिकारियों में प्रतिभूति व मासिक अधिभार जमा कराने को लेकर इन दिनों होड़ सी मची हुई है कारोबारियों को 22 मार्च से 31 मार्च तक लॉक डाउन का पैसा मुख्यालय के पत्राचार के बाद शासन की मंजूरी से मिल गया है। लेकिन अनलॉक के दौरान के 8 दिनों व पथरियापीर शराब कांड के दौरान बंद की गई दुकानों का पैसा एडजेस्ट करने में आज भी अधिकारी हीलाहवाली ही कर रहे है जिसके चलते व्यपारी आये दिन शासन और मुख्यायल के चक्कर काटने को मजबूर है। आलम ये कि अधिकारी सरकारी राजस्व जमा कराने के फेर में दुकानें निरस्त करने तक की कार्रवाई कर रहे है। जनपद से फ़ाइल बन कर मुख्याल व शासन तक पहुँच गई है लेकिन उसके बाद हालात जस के तस ही बने है। बीते दिनो प्रतिभूति व मासिक अधिभार जमा करने वाले शराब कारोबारियों की 15 दुकानें ऊधमसिंह नगर में निरस्त कर दी गई थी जिनमे से 9 दुकानों का कैंसिलेशन वापस ले लिया गया था। वही देहरादून के लगभग 6 शराब कारोबारियों को आखरी मौका देते हुए नोटिस थमा दिए गए है जिससे कि व्यपारियो से सरकारी पैसा जमा कराया जा सके।लेकिन विभाग के अधिकारी यह भूल गए कि विभाग के द्वारा भी लाखों और करोड़ो रूपये उन शराब व्यापारियों का एडजेस्ट करना है जिस पर विभाग कुंडली मारे बैठा है।विभाग के दोहरे मापदंड से व्यपारी भी खफा है। व्यापारियों के अनुसार यदि विभाग उनका पैसा एडजेस्ट कर दे तो उन्हें सरकारी राजस्व देने में भी सहूलियत मिल जाएगी लेकिन अधिकारी उनके भुगतान को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे है।