देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद उत्तराखंड में एक बड़ा खुलासा हुआ है. क्या आप यह सोच सकते हैं कि उत्तराखंड में सरकारी आंकड़ों में रजिस्टर्ड 4,000 से ज्यादा सेक्स वर्कर प्रदेश के अलग-अलग अलग इलाकों में काम कर रही हैं. जी हां यह आंकड़े सरकारी हैं. दरअसल भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार को यह निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेशों में जितनी भी सेक्स वर्कर काम कर रही हैं या रह रही हैं, सरकार उनके राशन की व्यवस्था करवाए.
लिहाजा केंद्र सरकार के आदेशों का पालन करते हुए राज्य सरकार ने जैसे ही यह आंकड़े जुटाए तो यह संख्या 4 हजार से ज्यादा निकली. अब राज्य सरकार इन सेक्स वर्करों को राशन मुहैया कराने के लिए राशन किट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर रही है. ऐसा नहीं है कि यह सेक्स वर्कर उत्तराखंड में ही काम कर रही हैं. संभावना यह भी जताई जा रही है कि देश के अन्य इलाकों में भी यह महिलाएं कार्य करती हैं. लिहाजा इनका घर उत्तराखंड में हो सकता है. इस तरह के आंकड़े सार्वजनिक तौर पर पहली बार पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आए हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन ध्यान में रखते हुए इस विशेष तबके की पहचान ना तो हम आपको करवा सकते हैं और ना ही इनके बारे में आपको अधिक कुछ भी बता सकते हैं.
देहरादून में 1024 सेक्स वर्कर
उत्तराखंड की बात करें तो यहां खुले तौर से कहने-सुनने में तो नहीं मिलता है, लेकिन यहां पर भी पिछले कुछ समय में प्रॉस्टिट्यूशन का चलन बेहद तेजी से बढ़ा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार केवल देहरादून शहर में ही 1,024 सेक्स वर्कर रजिस्टर्ड हैं.
पूरे उत्तराखंड में 4,000 सेक्स वर्कर काम करती हैं और केवल देहरादून में ही 1,024 सेक्स वर्कर मौजूद हैं. यह खुलासा तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोविड-19 के दौरान सेक्स वर्कर्स को राशन मुहैया कराने का आदेश जारी किया गया. इस आदेश का पालन किया गया तो जानकारी मिली कि उत्तराखंड में 4,000 से ज्यादा सेक्स वर्कर काम करती हैं. इनमें से देहरादून में काम करने वाली 1,024 सेक्स वर्कर को राशन वितरित किया जा चुका है. वहीं, अन्य जिलों में भी सेक्स वर्कर का चिन्हीकरण किया जा रहा है. वहां पर भी राशन वितरण की प्रक्रिया जारी है