भागवत कथा :स्वार्थ विश्व के समान और त्याग होता है अमृत के समान
पूज्य व्यास जी ने कहा कि हमें अपने जीवन में हमेशा त्याग की भावना रखनी चाहिए जो व्यक्ति त्याग करता है वह मरने के बाद भी अमर हो जाता है और हमेशा औरों के दिलों में जिंदा रहता है लेकिन जो व्यक्ति स्वार्थ करता है वह जीते जी ही मर जाता है ऐसे व्यक्ति को कोई याद रखना भी नहीं चिहता उसके लिए स्वार्थ विष के समान होता है अतः हमें हमेशा परोपकार की भावना और त्याग की भावना रखनी चाहिए
सुख से सटे नहीं, दुख से हटे नहीं
पूज्य व्यास जी ने कहा कि हमें सुख से सटना नहीं चाहिए और दुख से हटना नहीं चाहिए उन्होंने कहा कि यदि भोजन से शरीर मजबूत होता है तो भजन से हमारे विचार और अंदर से सोचने समझने की शक्ति मजबूत होती है जिससे प्रभु को प्राप्त करना सरल हो जाता है
अंत में आरती हुई और सभी को प्रसाद वितरण किया गया कथा में आज सर्वश्री गौरव कुमार, पंकज तायल ,अभिनव बेदी, अमित करनवाल विकास मल्होत्रा शिवम गोयल मनोज सरीन अजय गोयल शिवम गोयल ललित आहूजा अनुराग गुप्ता, ललित आहूजा आदि उपस्थित रहे