अजय कुमार की पीआईएल में आरक्षण की नियमावली को चुनौती दी गई थी। पीआईएल में फरवरी महीने में जारी किए गए शासनादेश को चुनौती दी गई है। सीटों का आरक्षण साल 2015 में हुए पिछले चुनाव के आधार पर किए जाने की मांग की गई है। पीआईएल में 1995 से आगे के चुनावों को आधार बनाए जाने को गलत बताया गया है। बता दें कि इस बार रोटेशन के आधार पर आरक्षण किया गया। मामले की सुनवाई जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की डिवीजन बेंच में हुई।
15 मार्च तक जारी होनी थी फाइनल लिस्ट :
इस समय सभी जिलों में फाइनल आरक्षण लिस्ट तैयार हो रही है। अभी आरक्षण लिस्ट पर आईं आपत्तियों को दूर करने का काम चल रहा है। शेड्यूल के हिसाब से 15 फरवरी तक आरक्षण सूची जारी हाे जानी चाहिए। दो और तीन मार्च को सभी जिलों में आारक्षण लिस्ट जारी हुई थी। इन लिस्ट पर 4 मार्च से 8 मार्च तक क्षेत्र पंचायत कार्यालय में आपत्तियां मांगी गई थी। 9 मार्च को जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय पर आपत्तियों को एकत्र किया गया। 10 मार्च से 12 मार्च के बीच आपत्तियों का निस्तारण करना था। इसके बाद अंतिम सूची का प्रकाशन होगा था।
आरक्षण प्रक्रिया पर उठ रहे थे सवाल :
आरक्षण के फॉर्मूले को लेकर कुछ दिनों से प्रदेश सरकार और पार्टी में जद्दोजहद चल रहा था। सूत्रों के अनुसार पार्टी में आरक्षण फार्मूले को लेकर असंतोष अब सतह पर आ गया था। पार्टी के कई सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों ने शीर्ष नेतृत्व से यह शिकायत भी की है कि उनके लोग पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी किए बैठे थे मगर आरक्षण के फार्मूले की वजह से उनके लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो गए। सूत्र बताते हैं कि पंचायतीराज विभाग में इस मुद्दे पर पिछले कई दिनों से गंभीर मंथन चल रहा है।