रिपोर्ट । ललित जोशी
कुमाऊँ मंडल के अधिकांश जनपदों में प्राइवेट बस वाले यात्रियों को टिकट नहीं देते ऐसा ही एक उदाहरण सितारगंज से हल्द्वानी आ रही बस में भी देखने को मिला। जबकि बस में टिकट की उगाही करने वाला एक नाबालिग बच्चा जो टिकट की वसूली कर रहा था। जब इस संवाददाता ललित जोशी की नजर पड़ी तो कुछ सावल किये।बस टिकट को लेकर तो परिचालक ने बताया इस मार्ग पर चलते हुए 18 वर्ष हो गये पर आज तक यात्रियों ने टिकट नहीं माँगा। इस पर जब सितारगंज एस डी एम मुक्ता मिश्रा से बात की तो जाँच पड़ताल शुरू करने की बात कही।जबकि यहाँ बता दे प्राइवेट बसों का यही हाल है।
इधर जब इरफान नाम के जो प्राइवेट बस में कार्य कर रहा था। उसने आप बीती सुनाई उसका कहना है उसके पिता शराब पीते हैं।मां घर मे बीमार रहती है।चार भाई बहिन है मजे की बात घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कोई भी बच्चा स्कूल नही जाता है यह शाशन प्रशासन के लिए भी शोचनीय है जहां उत्तराखंड सरकार बड़े बड़े दावे करती है कि हर बच्चे को पढ़ाया जायेगा पर इस इरफान नाम के बच्चे ने सरकार की पोल खोलकर रख दी। ऐसे कई इरफान होगें जो मजबूरी में काम करते हैं। उत्तराखंड सरकार से कई यात्रियों की शिकायत है कि प्राइवेट बसों की जाँच की जाये।जो यात्रियों को टिकट नहीं देते ऐसे बसों के लाइसेंस को निरस्त करें। इत्तफाक से कोई घटना घट जाती है तो बस चालक परिचालक कह सकते हैं यह हमारे बस में नही था तो यात्री कुछ भी नहीं कर सकता है।जबकि उत्तराखंड सरकार ने आरटीओ के साथ साथ निरीक्षण करने वाले नियुक्त किये हैं इसके अलावा जगह जगह पुलिस चौकी बनाई गई कभी किसी ने इन बसों को जांच करने की कोशिश तक नही की। इधर बस में जो बच्चा कार्य कर रहा था इरफान अगर उसने सही अपने घर के बारे में बताया है तो उत्तराखंड सरकार व प्रशासन के साथ साथ कई संगठनों को आगे आना चाहिए।अगर उसकी बात गलत निकलती है घर की आर्थिक स्थिति ठीक है तो बस में जो कार्य करवा रहे हैं उनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए। यहाँ तक परिचालक मास्क का भी कही कही पर लगा रहा था। जैसे पुलिस चौकी के आगे।