नैनीताल : एक जीवन परिचय आयरन लेडी डॉ इंद्रा ह्रदयेश का जो अब नही रही।राज्यपाल ने आयरन लेडी के निधन पर जताया दुःख।

Spread the love


ललित जोशी।

नैनीताल, । उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में अपनी धाक ज़बाने वाली एक ही नाम था इंद्रा जिसकी बात को पक्ष विपक्ष दोनों मानते थे।आज नही रही।पूरा हिंदुस्तान दुखी है। यहाँ विस्तार से जानकारी दी जा रही है।देश में एक इंदिरा थीं और उत्तराखंड में भी एक इंदिरा थीं। यह संयोग ही है कि दोनों कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्रियां रहीं और दोनों को ही ‘आइरन लेडी’ यानी लौह महिला जैसे उपनाम मिले। 7 अप्रैल 1941 को मौजूदा बागेश्वर जनपद के दौंणू-दसौली ग्राम में जन्मी इंदिरा का बचपन व प्रारंभिक जीवन गांव के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता के साथ उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में बीता। शिक्षा पूरी करने के बाद वह हल्द्वानी के ललित महिला कन्या इंटर कॉलेज में पहले लंबे समय तक शिक्षिका और फिर प्रधानाचार्य रहीं। इसी दौरान उन्होंने शिक्षक राजनीति के जरिए संयुक्त उत्तर प्रदेश की राजनीति में पदार्पण किया और पहले 1974 से 1980 और फिर 1986 से वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने तक लगातार तीन बार शिक्षक कोटे से उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में एमएलसी रहीं। वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनते समय इंदिरा और केसी सिंह बाबा ही कांग्रेस पार्टी से विधायक की हैसियत में थे, लिहाजा उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। वर्ष 2002 में पंडित नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने पर वह प्रदेश में ‘शैडो मुख्यमंत्री’ की हैसियत में रहीं। इस बीच उनकी छवि अपनी विधानसभा हल्द्वानी की सड़कों को चमकाने के कारण ‘विकास की देवी’ के रूप में भी रही। आगे मुख्यमंत्री का चेहरा होने के बावजूद 2012 से 17 के बीच रही कांग्रेस सरकारों में भी अंदरूनी राजनीति के बावजूद उनकी हैसियत मुख्यमंत्री के बाद नंबर-2 की बनी रही। वर्तमान में भी नेता प्रतिपक्ष होने के साथ लगातार सक्रिय थीं, और उत्तराखंड में कांग्रेस की इकलौती ऐसी पार्टी नेता भी रहीं जो वर्ष 2000 से अब तक विधायक बनी रहीं।
ब्हरहाल, अब जबकि डॉ. इंदिरा हृदयेश हमारे बीच नहीं हैं, इस बात पर भी चर्चा शुरू होने लगी है कि उनके जाने से उत्तराखंड व खासकर कांग्रेस की राजनीति में आया शून्य कैसे भरा जाएगा। यह तो तय माना जा रहा है कि उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र सुमित हृदयेश संभालेंगे, जो पहले से राजनीति में पदार्पण कर चुके हैं। संभव है कि राज्य विधानसभा के बचे करीब 8-9 माह के समय में गंगोत्री के साथ हल्द्वानी में भी उप चुनाव हो। वहीं कांग्रेस पार्टी को जल्द ही उनकी जगह नए नेता प्रतिपक्ष का चयन करना होगा। कांग्रेस पार्टी में उनका एक बड़ा नेता भी होता था, अब उन निचले दर्जे के पार्टी नेताओं को उनकी अनुपस्थिति में कोई नया नेता भी चुनना होगा।
डॉ ह्रदयेश का स्थान तो कोई भर नही सकता हा उनके बताए मार्ग पर चलकर आगे की रणनीति तय करनी होगी। कांग्रेस के साथ साथ अन्य पार्टियों के लोग भी उनसे रॉय लिया करते थे।कहा जाता है जब कोई दुनिया से विदा होता है तो वह अपनी छाप छोड़ जाता है।कई यादें खट्टी मीठी आते रहती है।

राज्यपाल ने आयरन लेडी डॉ इन्द्रा ह्रदयेश के निधन पर जताया दुःख।

सरोवर नगरी नैनीताल पहुँची राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री और उत्तराखण्ड में नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवार जनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
राज्यपाल ने कहा कि स्व इंदिरा हृदयेश ने महिला राजनेता के रूप में उत्तराखंड राज्य और कार्यकर्ताओं के बीच विशेष पहचान बनायी, जिसके लिए वह हमेशा स्मरण की जायेंगी।
राज्यपाल के नैनीताल पहुँचने पर अधिकारियों ने आगवानी की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *