रिपोर्ट ललित जोशी छायाकार धर्मा चन्देल।
नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में अपनी पहचान रंगमंच के शौक को साथ लेकर पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन को लेकर 1983 में राज्य अतिथि गृह नैनीताल में बतौर स्वागती के रुप में अपनी सेवाओं को शुरु किया और निरंतर राज्य अतिथि गृह को आगे बढ़ाने के लिये कार्य किये उसी का नतीजा रहा कि पूरे सेवाकाल में उनका एक बार भी कही अन्य स्थानान्तरण नहीं हुआ।
कार्य कुशलता व अपने मधुर व्यवहार के चलते विभाग व प्रशासन के बेहतर तालमेल का ही नतीजा था कि उनका कहीं अन्य शाखा में स्थानान्तरण नही हुआ।
हर वक्त वीआईपी-वीवीआईपी को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मिथिलेश पाण्डे को महारथ हासिल थी कर्मचारियों की भारी कमी के बाद भी काम के दवाब में नही आना हर किसी से हँसते मुस्कुराते बोलना और किसी विवाद में नही रहना इनकी बड़ी उपलब्धि रही है।
सेवानिवृत्त होने के बाद मिथिलेश पाण्डे ने कहा कि वो राज्य अतिथि को अपनी माँ मानते हैं और इसके प्रति उनका सदा लगाव व जुड़ाव रहेगा।
मिथिलेश पाण्डे ने कहा कि उनका सबसे बड़ा शौक है रंगमंच उसको पूरा करने के लिये वो काम करेंगे साथ ही अपने प्रिय भ्राता सिने अभिनेता स्वर्गीय निर्मल पाण्डे की स्मृतियों को संरक्षित कर पहाड़ के युवा रंगकर्मियो के लिये रंगशाला बनाने की दिशा में ठोस पहल करेंगे जिससे कि पहाड़ के कलाकार को दक्ष कलाकारों द्वारा पारंगत किया जा सके।