एक सदी के इतिहास का गवाह रहा देहरादून का ”कनॉट प्लेस”, अब अतीत के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगा. 14 सितम्बर को इस बिल्डिंग को खाली करवाने के साथ ही इसे जमींदोज करने की करवाई भी शुरू होगी. दिल्ली में स्थित कनॉट प्लेस की तर्ज पर बना देहरादून का ”Canaught place” व्यवसायिक एवं व्यापारिक केन्द्र है. जो आज भी देहरादून के बैंकर्स रहे सेठ मनसाराम की कहानी बताती है
ब्रिटिश काल में देहरादून के धनी और बैंकर्स रहे सेठ मनसाराम, जिन्होंने देहरादून में कई इमारतों का निर्माण किया उसमें से कनॉट प्लेस भी एक है. इस ऐतिहासिक इमारत को बनाने का सपना, सेठ मनसाराम ने दिल्ली में स्थित कनॉट प्लेस की बिल्डिंगों की डिजायन से प्रभावित होकर तैयार किया था. जिसके लिए मनसाराम ने बॉम्बे से आर्किटेक को बुलाया था, और इसके निर्माण के लिए सेठ मनसाराम ने भारत इन्स्योरेन्स से एक लाख 25 हजार रूपये लोन लिया था. 1930 से 40 के दशक में देहरादून की ये पहली इमारत थी, जिसको तीन मंजिला तैयार किया गया था. इसे पकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बनाया गया था, ताकि वे यहां आकर अपना बिजनेस यहां कर सकें