निजी स्कूलों पर हर साल बच्चों की ड्रेस में बदलाव करने का आरोप है। अभिभावकों का कहना है कि पहले परिवार में बड़े बेटे की ड्रेस पहनकर छोटो बेटा भी पढ़ लेता था। लेकिन, अब हर साल ड्रेस में बदलाव होने के कारण अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि निजी स्कूलों की व्यवस्था ही ऐसी है। ड्रेस में हर साल कुछ न कुछ बदलाव जरूर होता है। कभी मोजे का डिजाइन बदल दिया जाता है तो कभी पैंट-शर्ट या स्कर्ट और शर्ट का कलर या डिजाइन में बदलाव कर दिया जाता है।
इस वजह से वह ड्रेस दूसरे साल इस्तेमाल में नहीं आती। यही नहीं, निजी स्कूल खुद दुकानों से कांटेक्ट करके टेलर को अपने स्कूल में बुलाते हैं और बच्चे का नाप लेकर वहीं पर ड्रेस सिलवाते हैं। यह ड्रेस किसी और दुकान पर भी नहीं मिलती है।
ड्रेस में बदलाव के साथ इसकी कीमत में भी बढ़ोतरी
इससे अभिभावकों को मजबूरी में महंगे दामों पर इसे स्कूल प्रशासन की बताई दुकान से ही खरीदना पड़ता है। ड्रेस में बदलाव के साथ इसकी कीमत में भी बढ़ोतरी की गई है। जो ड्रेस पिछले साल 2200 में मिल रही थी, वह इस साल 2800 की हो गई है।