आढ़त बाजार को स्थानांतरित करने के मुद्दे पर व्यापारियों और मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के अफसरों के बीच प्रस्तावित वार्ता आज एमडीडीए कार्यालय में होगी। इस दौरान व्यापारी अपनी मांगों को रखेंगे, वहीं, एमडीडीए इन पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेगा। इसके बाद ही एमडीडीए व्यापारियों को प्रस्तावित भूमि दिखाने की तिथि तय करेगा।
गौरतलब है कि आढ़त बाजार को शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। एमडीडीए की आढ़त व्यापार एसोसिएशन के साथ अहम बिंदुओं पर वार्ता प्रस्तावित है। पिछले कई दिनों से यह वार्ता टल रही थी। अब एमडीडीए की ओर से आढ़त व्यापारियों को बातचीत के लिए बुलाया गया है।
शुक्रवार को एमडीडीए के कार्यालय में दोनों पक्षों के बीच अहम वार्ता होगी। इसमें यह तय किया जाएगा कि आढ़त बाजार को शिफ्ट करने का मास्टरप्लान क्या होगा। इसके अलावा पुराने आढ़त बाजार को चौड़ा करने का मानक क्या रहेगा। मुआवजा कितना मिलेगा और भवनों को कहां तक तोड़ा जाएगा। वहीं आढ़त बाजार को दूसरी जगह शिफ्ट करने से पहले पुराने आढ़त बाजार को न तोड़ा जाए, यह मांग भी रखी जाएगी।
पूरा थोक बाजार नई मंडी में ले जाने पर होगी चर्चा
आढ़त थोक व्यापारी चाहते हैं कि अकेले आढ़त बाजार ही नहीं आढ़त बाजार रोड, हनुमान चौक और दर्शनी गेट पर भी जो थोक खाद्यान कारोबारी हैं। उन सभी को नई मंडी में ले जाया जाए। इसके लिए आम सहमति बनानी होगी। आढ़त एसोसिएशन के महामंत्री विनोद गोयल ने कहा कि शहर के किसी भी हिस्से में यदि थोक अनाज-खाद्यान का कारोबार होगा तो यातायात व्यवस्था का प्रभावित होना तय है, इसलिए संगठन यह चाहता है कि नई आढ़त मंडी बने तो पूरा थोक कारोबार उसमें जाए।
जमीन दिखाने की तय हो तारीख
व्यापारियों ने एमडीडीए में होने वाली बैठक से पूर्व आपसी चर्चा की और यह तय किया कि एमडीडीए के साथ होने वाली बैठक में यह स्पष्ट किया जाएगा कि पहले उन्हें नई मंडी के लिए प्रस्तावित जमीन दिखाई जाए। जमीन पसंद आ गई तो तभी थोक व्यापारी बात को आगे बढाएंगे।
दुकान का साइज भी अहम
आढ़त कारोबारियों ने कहा कि सभी थोक व्यापारी अपनी जरूरत की जगह एसोसिएशन को बता रहे हैं। इसका रिकाॅर्ड तैयार किया जा रहा है। इससे उन्हें पता लग जाएगा कि नई जगह पर आढ़त बाजार बना पाना संभव है या नहीं।
मूल्य पर भी होगी चर्चा
व्यापारी मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के अफसरों से चर्चा के दौरान जमीन के मूल्य के बारे में भी जानकारी लेंगे, ताकि व्यापारी आने वाले खर्च को आंक सकें। दरअसल, व्यापारियों का कहना है कि उन्हें बैंकों से लोन आदि का इंतजाम भी करना है।