मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में कहा कि समान नागरिक संहिता चुनावी नहीं देशहित का मुद्दा है। इसे हर हाल में लागू किया जाएगा। यह किसी वर्ग को परेशान करने के लिए नहीं है।
सोमवार को यहां उद्घाटन सत्र का आगाज करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता बनाने को लेकर अपनी सरकार का संकल्प जाहिर किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वामी चिदानंद सरस्वती, इस्कॉन से जुड़े गुरु गौरांग दास प्रभु, अमर उजाला के एमडी तन्मय माहेश्वरी और वरिष्ठ कार्यकारी संपादक डॉ. इंदु शेखर पंचोली ने संयुक्त रूप से किया। इसके बाद एमडी तन्मय माहेश्वरी ने उत्तराखंड राज्य निर्माण में अमर उजाला की भूमिका और इसके सफर की कहानी को बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन के दौरान अमर उजाला ने यहां के लोगों के मन की भावनाओं को समझा और उसका साक्षी बना।
सवाल-जवाब कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए समिति बनाने का वादा किया गया था। यूसीसी हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसका जल्द ड्राफ्ट तैयार होने वाला है।
समान नागरिक संहिता को लेकर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि यह किसी वर्ग को परेशान करने लिए नहीं है। इसका ड्राफ्ट सभी की रायशुमारी के बाद ही तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल उसी पार्टी को पसंद नहीं है जो आजादी के बाद से ही तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। सरकार इसे किसी वर्ग के वोटों के लिए नहीं, बल्कि सबकी भलाई के लिए ही लागू करने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि तमाम प्रबुद्ध लोग इसके समर्थन में आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी से केवल एक पार्टी को ही दिक्कत है, जो तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। प्रबुद्ध लोगों की इसमें राय ली गई है और तमाम प्रबुद्ध संगठनों को यूसीसी का समर्थन है।
लव जिहाद के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि नाम बदलकर छल करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। देवभूमि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बनाए रखना सरकार की प्रतिबद्धता है। कानून व्यवस्था को हाथ में लेने की किसी को अनुमति नहीं है। उत्तराखंड के विकास के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार आस्था और व्यवस्था का संतुलन बनाकर ही विकास कर रही है। सड़कों, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास होने से हर साल पर्यटन और तीर्थाटन के लिए छह करोड़ से अधिक लोग उत्तराखंड का रुख करते हैं। ऐसे में हमें सात करोड़ से ज्यादा लोगों को ध्यान में रखकर विकास करना है।