राजपुर थाना प्रभारी जितेंद्र चौहान ने बताया कि सलीम निवासी बागपत मेरठ ने शिकायत दर्ज कराई है। बताया कि उनके पूर्वज मौलाबख्श आदि के नाम से ढाकपट्टी में 11 बीघा से अधिक भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज चली आ रही है। मौलाबख्श की मृत्यु के बाद निजी कारणों से वह विरासत की कार्रवाई नहीं करवा पाया। इसी का लाभ उठाते हुए शेख मईसुद्दीन और उसके पुत्र मोहम्मद खालिद, मोहम्मद रिजवान निवासी लालकुर्ती जिला मेरठ ने खुद को मौलाबख्श का विधिक वारिस बताते हुए देहरादून कलक्ट्रेट में प्रार्थनापत्र दिया।
इसमें कहा गया कि मृतक मौलाबख्श के एक मात्र लड़के शेख बहादुर फरीदुद्दीन थे। शेख फरीदुद्दीन के एक मात्र लड़के शेख अजीमुद्दीन और इनके एक मात्र लड़के शेख मईसुद्दीन का नाम बतौर वारिस मौलाबख्श के हिस्से पर कायम किया जाए। आरोप है कि इसके लिए उन्होंने फर्जी कागजात तैयार किए। इसके आधार पर शेख मईसुद्दीन का नाम बतौर वारिस राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दिया गया। वर्ष 2013 में मईसुद्दीन की मृत्यु के बाद बतौर वारिस उनके पुत्र मोहम्मद खालिद, नईमा खातून और रिजवान का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दिया गया।
सलीम ने बताया कि जब इसके बारे में जानकारी हुई तो उसने भी प्रार्थना पत्र दाखिल कर बतौर वारिस नाम दर्ज करने की अपील की। साथ ही एसआईटी में भी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद एसआईटी ने वारिसान सर्टिफिकेट के बारे में जिलाधिकारी मेरठ से रिपोर्ट मांगी थी। जिलाधिकारी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा कि वारिसान के सभी कागजात फर्जी हैं। शिकायत के बाद राजपुर पुलिस ने मोहम्मद खालिद, नईमा खातून, मोहम्मद रिजवान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।