प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ke स्वागत एवं अभिनंदन बहाने ही सही धर्मपुर कांग्रेस मैं हलचल तो शुरु हो गई है कमान सँभाली है नयी पीढ़ी ने जो तो पार्षद लड़ चुके हैं चुके हैं । अब सवाल है कि धर्मपुर के दिग्गज ने बीजेपी के आगे हथियार डाल दिये तो कौन होगा धर्मपुर का सेनापति या यूँ कहें किन किन के भरोसे है धर्मपुर के कांग्रेसी । कहाँ एक और दशकों की राजनीति के बाद धर्मपुर नये और युवा सिपहसलार कि तलाश मैं है वहीं कुछ फुस बम भी इसको अपने लिये एक मोके के तोर पर देख रहे है ज़ाहिर है सपने तो सब देखते हैं । अब देखना की और उनको सच करने के लिये जो क़ाबिलियत चाहिए वो दमख़म किसी किसी मैं है अब अगर राजनीतिक वजूद और सक्रियता के आधार को देखा जाये तो यहाँ की राजनीति मलिन बस्तियों , पिछड़ी वर्ग और मध्यम वर्गीय परिवार कि और ज़्यादा रुख़ रखती है । तो ज़ाहिर है बस्ती की राजनीति से ही धर्मपुर का सेनापति तय होगा चाहे वो दीपनगर , ब्रह्मपुरी, लोहियानगर, चंद्रबानी, ओगल भट्ठा , माज़रा, लाखीबाग , संजय कॉलोनी , मुस्लिम कॉलोनी , , देहरा ख़ास सभी बड़े वोट बैंक माने गये हैं और वोट भी खूब पड़ता है । अब युवा के तोऔर कुछ पार्षद अच्छा रसूख और प्रभाव रखते है जैसे रमेश कुमार मंगू :- अच्छा व्यक्तित्व, राजनीतिक समझ, वही हरिभट् भी सभी चुनाव विधानसभा हो या लोकसभा मुख्य ज़िम्मेदारी निभाते नजर आते हैं , वहीं कुछ युवा सालो से धर्मपुर की राजनीति दिनेश अग्रवाल के साथ कदम ताल मिला कर बूथ स्तर से मीडिया तक करते रहे है जैसे इत्तात सोनू पूर्व पार्षद ,पुनीत चौधरी (एडवोकेट), ललित भद्री पूर्व पार्षद व आयुष गुप्ता बंटी पूर्व पार्षद वहीं कुछ अपनी अलग ही लकीर लेकर चल रहे हैं जैसे पूरण सिंह रावत जो पहले प्रधान रह चुके है और हरीशरावत के ख़ास माने जाते हैं । अब प्रदेश राजनीति के दिग्गज किस को चेहरा बनाते है ये तो वक़्त बताएगा लेकिन जातिगत समीकरण पिछड़े वर्ग और पहाड़ी मूल के रूप मैं नया युवा प्रत्याशी ही विकल्प है ।