मंगलवार को कलक्ट्रेट में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उन्हें विश्वास में लिए बगैर गौचर की 13 हेक्टेयर से अधिक भूमि कब्जा ली है। इस बेनाप भूमि की कंपनी के पक्ष में रजिस्ट्री भी कर दी गई, जबकि गौचर पर गांव के कई किसान और पशुपालक निर्भर हैं। इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा गौचर, पनघट उपलब्ध नहीं है। इससे पहले भारत-चीन युद्ध के बाद भी गांव की 34 हेक्टेयर से अधिक भूमि रक्षा विभाग को दी थी।
उन्होंने कंपनी पर ग्रामीणों का रास्ता बंद करने का भी आरोप लगाया। कहा कि रास्ता बंद होने से आवाजाही प्रभावित हो रही है। इस बीच ग्रामीणों ने डीएम से मिलकर समस्या बताई और भूमि वापस दिलाने की गुहार की। प्रदर्शनकारियों में ग्राम प्रधान सरस्वती देवी, राकेश वर्मा, सुशील खत्री, खुशाल सिंह, किरन सिंह, पुष्कर सिंह, श्याम सिंह, नरेंद्र सिंह आदि ग्रामीण थे।
3 की जगह लांघनी पड़ रही 22 किमी की दूरी
कंपनी के गांव का रास्ता बंद करने के बाद ग्रामीणों को भड़कटिया आने के लिए 22 किमी की दूरी तय करनी पड़ रही है, जबकि गांव से भड़कटिया की दूसरी 3 किमी है। गांव के 47 परिवारों की आजीविका दुग्ध उत्पादन और बागवानी पर निर्भर है। इसका बाजार भड़कटिया है। रास्ता बंद होने से ग्रामीणों को जिला मुख्यालय का फेरा लगाते हुए भड़कटिया पहुंचना पड़ रहा है। 22 किमी दूरी का किराया चुकाना पड़ रहा है। इससे उत्पादन की लागत बढ़ने से नुकसान हो रहा है।
कांग्रेस ने ग्रामीणों का समर्थन किया
जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीणों के आंदोलन के समर्थन में खड़ी हो गई है। जिला अध्यक्ष मुकेश पंत ने प्रदर्शनकारियों के साथ डीएम से वार्ता की और ग्रामीणों के हितों की रक्षा की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो पार्टी आंदोलन करेगी।
सामरिक हितों को देखते हुए कंपनी को बेनाप भूमि दी है। इसके बदले गांव को सरकारी भूमि दी जा रही है। प्रशासन अन्यत्र भूमि पर गौचर आदि विकसित करने में मदद करेगा। इसके अलावा ग्रामीणों को कौशल विकास समेत अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी। रास्ते के विवाद को जल्द सुलझा लिया जाएगा। -सी रविशंकर, डीएम, पिथौरागढ़