भारी पुलिस फोर्स से ठिठके श्रमिकों के कदम

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श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले विभिन्न मांगों को लेकर मशाल जुलूस निकालने की श्रमिकों की मंशा पर पुलिस ने पानी फेर दिया। भारी पुलिस फोर्स ने अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे श्रमिकों को खदेड़ दिया। इसको लेकर पुलिसकर्मियों और श्रमिकों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। लेकिन पुलिस की भारी तादाद को देख श्रमिक बिना जुलूस  निकाले लौट गए। इधर, श्रमिकों ने एएलसी दफ्तर में पहुंचकर नारेबाजी भी की।

सिडकुल के कामगार श्रमिकों द्वारा गठित सिडकुल श्रमिक संयुक्त मोर्चा ने श्रमिकों की मांगों को लेकर बुधवार को सिडकुल चौक से उपश्रमायुक्त कार्यालय तक मशाल जुलूस निकालने का ऐलान किया था। बुधवार की शाम को उद्योगों में छुट्टी के बाद श्रमिकों ने लाल टोपी और लाल झंडे थामे एकत्र होना शुरू कर दिया था। लेकिन पुलिस प्रशासन ने जुलूस को रोकने के लिए सीओ सिटी स्वतंत्र कुमार की अगुवाई में पंतनगर थाने की फोर्स के साथ ही बड़ी तादाद में पीएसी के साथ ही दंगा नियंत्रण दल और दमकल वाहनों को तैनात कर दिया था। पुलिस ने बिना अनुमति जुलूस निकालने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।

भड़के श्रमिकों ने विरोध जताया तो उनकी पुलिस से तीखी नोकझोंक हो गई। पुलिस की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए श्रमिकों को मजबूरी में इरादे बदलने पड़े और उन्होंने बिना मशाल जुलूस के उप श्रमायुक्त कार्यालय जाने का निर्णय लिया। इधर, आवेश में आकर कुछ श्रमिकों ने नारेबाजी की तो पुलिस ने उन्हें पकड़कर वाहन में बैठा दिया। लेकिन श्रमिकों के प्रदर्शन न करने की बात कहने के बाद पुलिस ने नेताओं को छोड़ दिया। इधर, एलएसी कार्यालय पहुंचने के बाद श्रमिक नेताओं ने बैठक की। तय हुआ कि अगर सिडकुल प्रशासन आगामी 16 फरवरी तक उनकी मांगों को नहीं मानता तो 17 फरवरी को विशाल मशाल जुलूस निकाला जाएगा। वहां पर पंतनगर थाना प्रभारी संजय पांडे, दिनेशपुर थाना प्रभारी डीआर वर्मा, सिडकुल चौकी प्रभारी केजी मठपाल मय फोर्स के मौजूद रहे।

कंपनी जाकर श्रमिक नेताओं को थमाए थे नोटिस
पुलिस प्रशासन ने श्रमिकों का जुलूस रोकने के लिए बुधवार सुबह से ही कोशिशें तेज कर दी थी। इसी क्रम में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों को उनकी कंपनी में जाकर पुलिस कर्मियों ने नोटिस थमाए थे। मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी ने बताया कि मोर्चा से जुड़े प्रत्येक पदाधिकारी को उसकी कंपनी में जाकर जुलूस की अनुमति नहीं होने का नोटिस पुलिस ने दिया था। इसको लेकर दोपहर में वे लोग एडीएम से भी मिले थे। लेकिन एडीएम ने बिना अनुमति जुलूस नहीं निकालने की बात कही थी। कहा कि अगर पुलिस को नोटिस देना ही था तो वह बुलाकर दे सकती थी। पुलिस का रवैया गलत था।

लाल टोपी और झंडे से ऐतराज
सिडकुल में जुलूस निकालने के लिए श्रमिक लाल टोपी पहनकर आए थे। कइयों ने हाथ में लाल झंडे को भी ले रखा था। इसी बीच कुछ श्रमिक लाल टोपी और झंडे का पैकेट श्रमिकों में बांटने के लिए लाए थे। इसे पुलिस ने तुरंत जब्त कर लिया। इसको लेकर श्रमिकों ने ऐतराज भी जताया, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। इसी बीच पुलिस का अभिसूचना तंत्र भी सक्रिय रहा और पूरे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी भी कराई गई। पुलिस की सख्ती देख कुछ महिला श्रमिक सड़क से गुजर रहे वाहनों में बैठकर चलते बनीं। श्रमिकों ने जुलूस निकालने का कार्यक्रम तो कई दिन पहले तय किया था लेकिन अनुमति पुलिस प्रशासन से नहीं ली गई थी। जब उन्हें पुलिस फोर्स और जुलूस रोकने की भनक लगी तो उन्होंने आनन फानन में प्रार्थना पत्र देकर प्रशासन से अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।

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