दो कार्मिकों के भरोसे यात्रा प्रशासन संगठन
— मांग के बावजूद 14 साल से नहीं हो पाया पदों का सृजन
— संगठन के ऊपर है चारधाम का सारा जिम्मा
ऋषिकेश। विश्व प्रसिद्ध उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा के सुव्यवस्थित संचालन, निगरानी व यात्रियों के लिए मुकम्मल सुविधाएं जुटाने के उद्देश्य से गठित यात्रा प्रशासन संगठन 28 साल से दो कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। यात्रा के बेहतर ढंग से संचालन के लिए अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय तो संगठन की अनदेखी हुई ही है, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी अब तक की सरकारें संगठन के इंफ्रास्ट्रक्चर और विभाग में पदों के सृजन की मांग पर कोई गौर नहीं कर पाई हैं।
हर साल महज हवा हवाई दावों से चारधाम यात्रा संपन्न करा दी जाती है। संगठन में मांगे गए विभिन्न पदों का सृजन नहीं होने से संस्था अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रही है। जिसका असर हर साल सीधे तौर पर चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं पर पड़ता है। फिर भी यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण यात्रा प्रशासन संगठन के ढांचे को बेहतर बनाने को लेकर राज्य सरकार लापरवाह बनी हुई है। 1990 में उत्तर प्रदेश सरकार के समय पर्वतीय विकास विभाग के अधीन चारधाम यात्रा के संचालन, मॉनिटरिंग और यात्रा रूटों पर तीर्थयात्रियों के लिए सभी जरूरी सुविधाएं जुटाने के उद्देश्य से यात्रा प्रशासन संगठन का गठन किया गया था। संगठन में उस वक्त चार पदों का सृजन किया था, जिसमें से एक पद गठन के बाद से ही रिक्त पड़ा है।
संगठन की ओर से चारधाम यात्रा के बेहतर संचालन के लिए तब से अब तक बनी सरकारों को पदों को बढ़ाने की डिमांड कई बार भेजी, मगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। राज्य बनने के बाद संगठन के मुखिया गढ़वाल आयुक्त के माध्यम से संगठन के तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी द्वारा सबसे पहले वर्ष 2004 में शासन को 12 पदों के सृजन की डिमांड भेजी गई, लेकिन प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके बाद 2008 और 2010 में यह प्रस्ताव सचिव पर्यटन को दिया गया, मगर तीर्थाटन व पर्यटन को सूबे के राजस्व और रोजगार का सबसे बड़ा जरिया बताने वाली उत्तराखंड की अब तक की सरकारों ने इस पर गौर नहीं किया।
यह हैं संगठन के कार्य व उद्देश्य
– विभिन्न निजी कंपनियों द्वारा यात्रा में चलाए जाने वाले वाहनों के संयुक्त रोटेशन की व्यवस्था।
– यात्रियों के फोटोमीट्रिक पंजीयन की व्यवस्था
– वाहनों के आवागमन का समय निर्धारण
– यात्रा मार्गों पर संबंधित विभागों के माध्यम से चिकित्सा, सड़क, शौचालय, विद्युत, रैन बसेरा, टीनशेड आदि सभी जरूरी सुविधाएं जुटाना और निगरानी।
– संकटकालीन स्थिति में टास्क फोर्स रेस्क्यू फोर्स, एसडीआरएफ, हेलीकाप्टर द्वारा राहत कार्यों में यात्रियों की सुरक्षा व सहायता।
28 साल से यह पद हैं सृजित
विशेष कार्याधिकारी-1 निसंवर्गीय
व्यैक्तिक सहायक-1
परिचारक -1 लंबे समय से रिक्त है।
चालक-1 संगठन के गठन से ही रिक्त है।
इन पदों की है डिमांड
– डाटा इंट्री आपरेटर-1
– लेखा लिपिक-1
– कैशियर-1
– टाइपिस्ट-1
– कार्यालय सहायक-1
– ड्राफ्समैन-1
– अवर अभियंता-1
– चपरासी-2
– चौकीदार-1
– स्वागती-1
– वरिष्ठ सहायक-1
– चालक-1
यह आती हैं दिक्कतें
ऋषिकेश। संगठन के ऋषिकेश स्थित कार्यालय में एकमात्र व्यैक्तिक सहायक एके श्रीवास्तव की तैनाती है। जिन्हें यात्रा संबंधी कार्यों के साथ ही विभागीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करना होता है। उनके महीने में कई दफा संगठन कार्यालय से विभागीय व ऑडिट संबंधी कार्यों के लिए देहरादून व पौड़ी स्थित आयुक्त कार्यालय, गढ़ी कैंट में पर्यटन कार्यालय, ओएसडी कार्यालय, पौड़ी कोषागार आदि में आने-जाने से यात्रा संबंधी सभी कार्य ठप हो जाते हैं। खासतौर पर इस दौरान तीर्थयात्रियों को यात्रा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। विभाग के व्यैक्तिक सहायक एके श्रीवास्तव की मानें तो पर्याप्त स्टाफ के अभाव में यात्राकाल में बेहतर समन्वय और अन्य जरूरी विभागीय कार्यों में निस्तारण में दिक्कतें आती हैं, जिसका असर यात्रा व्यवस्थाओं पर पड़ता है।