उच्च न्यायालय के आदेश के बाद निकाय चुनाव का खिसकना लगभग तय हो गया है। हमने अधिवक्ता एवं कोंग्रेस नेता पुनीत चौधरी से बात की – उनके अनुसार अधिसूचना जारी होने से लेकर सुनवाई तक कम से कम 15 -20 दिन लगना तय है। आपत्तियों के बाद कोई गांव हटाए या जोड़े जाने पर तमाम तरह की कवायदें और करनी पड़ेंगी। इसमें 2-3 माह लग सकते हैं।
किसी भी नगर निगम में गांव को शामिल करने के लिए शासन को पहले उसके सभी गांव के लिए अधिसूचना जारी करनी पड़ेगी। अधिसूचना जारी होने के बाद सात दिन आपत्ति आने का समय देना होगा। आपत्ति मिलने के बाद इनकी सुनवाई करनी होगी। सुनवाई पुरी करने के बाद जिलाधिकारी को कितने गांव को शामिल करना है इसकी पूरी रिपोर्ट शासन को भेजनी होगी। रिपोर्ट के बाद शासन निगम में शामिल होने वाले गांव की अधिसूचना जारी करेगा।यह प्रक्रिया देख कर लगता है की चुनाव आयोग 6 माह तक निकाय चुनाव टाल सकता है जिसका प्रावधान बोर्ड मैं पहले से है । दूसरा रास्ता है की संवेधानिक तोर पर उत्तराखंड सरकार डबल बेंच से इस मुद्दे पर गुहार लगा सकती है ।अभी तक धुलिया की एकल बेंच ने फ़ैसला सुनाया है पर अगर डबल बेंच भी फ़ैसले को बरक़रार रखती है तो उत्तराखंड सरकार की किरकिरी होगी इस लिए माना जा रहा है की सरकार तय प्रक्रिया से गुज़र कर ही चुनाव करवाएगी I