राज्य निर्वाचन आयोग से लेकर सरकार तक अब यह मान चुकी हैं कि निकाय चुनाव तीन मई की डेडलाइन तक नहीं हो पाएंगे। दरअसल, सरकार अभी 24 निकायों में सीमा विस्तार ही फाइनल नहीं कर पाई है। यह काम अभी दो तीन दिन में होगा। इसके बाद निकायों में आरक्षण तय होना है, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक आरक्षण जारी होने के बाद आपत्ति दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया जाएगा, फिर निस्तारण के लिए तीन दिन देने होंगे।
कुल मिलाकर आरक्षण प्रक्रिया तक ही अभी दो सप्ताह का समय लग सकता है। इस कारण सरकार अप्रैल अंत तक ही चुनाव के लिए तैयार हो पाएगी। इसके बाद निर्वाचन आयोग की भूमिका शुरू होती है। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुबर्द्धन के मुताबिक आचार संहिता जारी होने के बाद पांच दिन नामांकन के लिए देने जरूरी है। नामांकन पत्रों की जांच, नाम वापसी में भी चार पांच दिन लगेंगे।
इसके बाद मतपत्रों की छपाई होगी, चूंकि इस बार राज्य में मतदाताओं की संख्या गत चुनाव के मुकाबले में आठ लाख से अधिक की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। इसलिए इतनी अधिक संख्या में मतपत्रों के प्रकाशन में आयोग को कम से कम 15 दिन लगेंगे। तब जाकर आयोग चुनाव में सक्षम होगा। इससे स्पष्ट है कि चुनाव अब जून में होंगे। इधर, तय डेडलाइन के मुताबिक निकायों का कार्यकाल तीन मई को समाप्त हो जाएगा, ऐसे में अगले निर्वाचित बोर्ड के गठन तक सभी निकायों में प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुबर्द्धन आगामी 19 जून को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। नियमानुसार चुनाव प्रक्रिया के बीच में यदि चुनाव आयुक्त रिटायर होते हैं तो सरकार उन्हें सेवा विस्तार दे सकती है, लेकिन आयोग और सरकार के बीच ताजा टकराव के बाद इस पर कयास लगने शुरू हो गए हैं।