माननीय उच्चन्यायालय द्वारा 2018 में दिए गये समान कार्य समान वेतन और चरणवबद्ध तरीके से नियमतिकरण के आदेश के अनुसार अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत उपनल कर्मचारियों के साथ उत्तराखण्ड सरकार धोखा कर रही है। सरकार द्वारा उच्चन्यायालय के उस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देना दर्शाता है कि सरकार की नीयत ठीक नही है ।
पिरशाली ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ रावत और सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी द्वारा उपनल कर्मियों के साथ धोखा किया जा रहा है। एकतरफ ये लगातार बयानबाजी कर रहे हैं कि हम उपनल कर्मियों की बात को सुनेंगे उसका समाधान करेंगे वही उपनल पदाधिकारियों से मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये और मंत्री गणेश जोशी द्वारा अपने बयानों में इस बात के लिये आस्वस्त करने पर कि कोई भी उपनल कर्मी नौकरी से नही निकाला जायेगा अगले ही दिन 65 से ज्यादा उपनल कर्मियों को निकाला जाता है।
उन्होंने ये भी कहा दूसरी तरफ उपनल कर्मियों के मामले में वाहवाही लूटने का प्रयास करने वाले भाजपा के वचनवीर मंत्री अब इस विषय पर चुप्पी साधे बैठे हैं। उपनल कर्मचारियों के मामले में सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है। उपनल के माध्यम से नियुक्त ऊर्जा निगम के कुछ कर्मचारियों को विगत 2018 से सामान कार्य के लिये समान वेतन दिया जा रहा है कुछ अन्य विभागों में भी उपनल कर्मचारियों का नियमतिकरण भी किया गया है। सरकार को सभी कर्मचारियों के भविष्य की चिंता करते हुए उचित समाधान निकलना चाहिए।
ऊत्तराखण्ड में सरकारी विभागों में हज़ारों पद रिक्त है लेकिन ऊत्तराखण्ड की सरकार के कुप्रबंधन और कुशासन की वजह से ये पद भरे नही जा रहे हैं। आज उत्तराखण्ड का युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है ऊत्तराखण्ड सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सरकार के पास 20 साल बाद भी रोजगार बढ़ाने के लिए कोई योजना नही है।
आज उत्तराखण्ड के उपनल कर्मचारियों व उनके आश्रितों के अंदर भय व रोष व्याप्त है उनको अपना भविष्य अंधकारमय नज़र आ रहा है।