एम्स ने चेताया: ओमिक्रॉन को हल्के में न लें जनाब, वैरिएंट बदल सकता है अंदाज

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कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन तेजी के साथ लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। फिलहाल संक्रमण के हल्के लक्षणों के चलते लोग वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने लोगों को चेताया है कि वे ओमिक्रॉन वैरिएंट को हल्के में लेने की भूल न करें। देश में संक्रमण की दर बढ़ने के साथ वायरस के गंभीर लक्षण भी सामने आ सकते हैं।

एम्स ऋषिकेश के कोविड नोडल अधिकारी और एसोसिएट प्रो. डॉ. मुकेश बैरवा बताते हैं कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन पिछले वैरिएंटों के मुकाबले अधिक संक्रामक है, लेकिन नए वैरिएंट के मामले में मास्क, सामाजिक दूरी, सैनिटाइजन जैसे नियमों और वैक्सीनेशन को लेकर लापरवाही लोगों को भारी पड़ सकती है। डॉ. मुकेश बैरवा ने कहा कि देश में ओमिक्रॉन संक्रमित मरीजों में सिरदर्द, शरीर में दर्द, थकान और हल्के बुखार जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं, लेकिन वायरस के घातक रूप लेने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

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उन्होंने कहा कि अगर नए वैरिएंट के मामलों की संख्या लाखों में पहुंचती है और उनमें एक या दो फीसदी संक्रमितों में गंभीर लक्षण प्रकट हो सकते हैं। तब भी वारयस बड़े स्तर पर जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट की संरचना में अनुवांशिक बदलाव हुआ है। ऐसे में डेल्टा वैरिएंट की तरह नए वैरिएंट में पुराने और नए लक्षण देखने का मिल सकते हैं। उन्होंने लोगों से संक्रमण को लेकर तमाम एहतियात बरतने की सलाह दी है।
बूस्टर डोज से मजबूत होगा सुरक्षा चक्र
डॉ. मुकेश बैरवा ने कहा कि कोरोनारोधी वैक्सीन की बूस्टर डोज से कोरोना सुरक्षा चक्र और मजूबत होगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोरोनारोधी वैक्सीन की बूस्टर डोज संक्रमण से बचाव में बेहद कारगर साबित होती है।

बूस्टर डोज से प्रतिरक्षित व्यक्ति के खून में नई एंटीबाडी बनती है। नई एंटीबाडी संक्रमण को रोकने में अधिक प्रभावी होती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय फ्रंटलाइन वर्करों और बुजुर्गों को बूस्टर डोज देने की तैयारी कर रहे हैं। निर्धारित समय पर सभी लोगों तक बूस्टर डोज पहुंचेगी। बूस्टर डोज से प्रतिरक्षित होने के बाद हम कोरोना महामारी के खिलाफ और अधिक मजबूती से जंग लड़ पाएंगे।

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