सरकार के इस फरमान से बेरोजगारों को बड़ा झटका लगा है। उनके सामने नई परेशानी खड़ी हो गई है।
शासन के एक आदेश से 109 बेरोजगारों का प्रवक्ता बनने का सपना टूट गया है। लंबे समय से चल रही भर्ती प्रक्रिया के बाद चुने गए अभ्यर्थियों को शासन ने नियुक्ति देने से इनकार कर दिया है। शिक्षा निदेशालय ने प्रतीक्षा सूची में शामिल इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन शासन स्तर से नामंजूर कर दिया गया है
शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015 में प्रवक्ताओं के 1200 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। इसके बाद लोक सेवा आयोग ने इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की। सभी पदों को भरने के बाद बेरोजगारों की प्रतीक्षा सूची भी जारी की गई। बड़ी संख्या में दुर्गम के पद रिक्त रह गए। चयनित अभ्यर्थियों ने दुर्गम के विद्यालयों में तैनाती लेने से इनकार कर दिया।
वहीं, कुछ अन्य लोगों ने भी ज्वाइनिंग नहीं दी। अलग-अलग कारणों से कुल 109 पद रिक्त रह गए। नियमानुसार यह पद प्रतीक्षा सूची से भरे चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिक्षा निदेशालय ने रिक्त पद भरने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा, लेकिन शासन स्तर से इनकार कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार विभागीय सचिव ने विज्ञप्ति जारी हुए दो वर्ष से अधिक समय बीतने की बात कहते हुए प्रस्ताव लौटाया है।
जिस तर्क के आधार पर विभागीय सचिव ने प्रस्ताव को नामंजूर किया है, वह सरकार की गलती है। नियुक्ति प्रक्रिया में देरी के लिए सरकारी सिस्टम ही जिम्मेदार है। इसके बावजूद खामियाजा बेरोजगारों को भुगतना पड़ रहा है। बहरहाल विभागीय अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।