अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दौरान योगाचार्यों ने देश-विदेश से पहुंचे साधकों और जिज्ञासुओं को योग और अध्यात्म का महत्व बताया। योगाचार्यों ने कहा कि योग और अध्यात्म को आत्मसात करने से ही सुखी जीवन संभव है।
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में 90 देशों के सैकड़ों योग जिज्ञासु जुटे हैं। महोत्सव के पहले दिन योग साधकों ने कुंडलिनी साधना, पावर योगा, हठयोग विन्यास आदि क्रियाओं का अभ्यास कराया गया। कर्नाटक के कृष्णमूर्ति मोहन राय ने सात समुंदर पार से महोत्सव में पहुंचे योग साधकों को हठयोग विन्यास का अभ्यास कराया। कृष्णमूर्ति मोहन राय ने बताया कि वह 15 वर्षों से चीन में साधकों को भारतीय योग की तालीम दे रहे हैं। कृष्णमूर्ति के अनुसार योग की इन विधाओं के नियमित अभ्यास से साधक के शरीर को नई ऊर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने साधकों से हठयोग विन्यास को जीवन में आत्मसात करने का सुझाव दिया। वहीं, तुर्की से आए योगाचार्य मर्ट गूलेर ने जिज्ञासुओं को सूफी मेडिटेशन की तालीम दी। इसके अलावा अन्य योगाचार्यों ने नियमित योग और आध्यात्मिक क्रियाओं का मंत्र दिया।