उत्तराखंड क्रांति दल महानगर इकाई न दून अस्पताल से पंकज नामक युवक द्वारा अपने भाई की मृत्यु के बाद उसका शव कंधे पर लाद कर ले जाने की घटना पर आक्रोश प्रकट करते हुए द्रोणा चौराहे पर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। राज्य की राजधानी में घटी इस घटना से गुस्साए महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री तथा उनके साथियों का कहना था कि जब राजधानी में यह हाल है तो पूरे प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था तथा अस्पतालों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह घटना तब और भी गंभीर हो जाती है जब चिकित्सा मंत्रालय स्वयं प्रदेश के मुखिया के अधीन हो। उन्होंने कहा कि ऐसी असंवेदनशील घटनाएं पहाड़ के चिकित्सालय में होगी तो आम बात थी। समय-समय पर पहाड़ों में घटने वाली ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेने का आग्रह उक्रांद द्वारा सरकार से किया गया है लेकिन सरकार की निरंकुशता के चलते यह गंभीर घटनाएं राजधानी में भी होने लगी है। पूरे प्रदेश की आशा का केंद्र बने दून अस्पताल में एक मृतक वाहन का ना होना होना यह साबित करता है कि प्रदेश सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है। अधिकारियों से करोड़ों रुपए की चंदा वसूली के बाद नौकरशाही पर सरकार की पकड़ खत्म हो चुकी है और बेलगाम नौकरशाही का शिकार गरीब नागरिक बन रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जांच पर जांच बिठाकर घटना पर लीपापोती कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन ने कहा कि प्रदेश सरकार पूरे राज्य में चिकित्सा का बाजारीकरण कर चुकी है। पूरा राज्य अस्पताल है तो डॉक्टर नहीं है, डॉक्टर है तो दवाई नहीं है कि समस्या से जूझ रहा है। दवाइयां चिकित्सीय उपकरणों और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। मरीजों के तीमारदार त्राहि त्राहि कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जनविरोधी सरकार सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है।पुतला फूंकने वालों में केंद्रीय महामंत्री जयप्रकाश उपाध्याय, वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन, गौरव उनियाल, ललित कुमार, विजय क्षेत्री, ललित घिल्डियाल, राजेंद्र प्रधान, रूबी खान, वीरेंद्र बिष्ट, सुशील मंमगाई, राजेंद्र बिष्ट,विमल रौतेला, फुरकान अहमद, दीपक कौशिक ,अशोक नेगी, आलम सिंह नेगी, पवन पोखरियाल, सुनील ध्यानी ,सुरेंद्र रावत, मनीष लखेड़ा ,राजेश्वरी रावत ,मालती पवार आदि शामिल थे।