दून अस्पताल, कोरोनेशन, रायपुर अस्पताल को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार है। नगर निगम में नगर क्षेत्र के घरों और प्राइवेट अस्पतालों में मरने वाले लोग प्रमाण पत्र बनते हैं।
ये है मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया : नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन आवेदन करने के लिए नगर निगम आना जरूरी है। यहां श्मशान घाट और अस्पताल की पर्ची देनी है। आवेदन करने वाले व्यक्ति को अपनी आईडी देनी होती है। जो लोग घर में मरते हैं उनके प्रमाण पत्र के लिए श्मशान घाट की पर्ची ही देनी होती है। आवेदन करने के एक सप्ताह के भीतर प्रमाण पत्र बन जाता है। एक महीने तक कोई शुल्क नहीं है। एक महीने बाद दस रुपये फीस के साथ शपथपत्र भी देना होता है।
मृत्यु प्रमाण पत्र उत्तराखंड हेतु क्या दस्तावेज चाहिए?
Necessary Documents with Death Certificate Application Form ➞ उत्तराखंड की सरकार ने मृत्यु प्रमाण पत्र से सम्बंधित दास्तावेजों को सुनिश्चित किया है जिसे हमने नीचे इसकी सूची बनाई जाती जाती है।
- मृतक का आधार कार्ड की जरूरत होगी।
- मृतक से जुड़े भौतिक दस्तावे की जरूरत होगी।
- राशन कार्ड की फोटोकॉपी लगेगी।
- मृतक के दो पासपोर्ट साइज फोटो।
- मृतक का पहचान पत्र।
यह सभी दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी। आपको यह सभी दस्तावेज आवेदन पत्र के साथ सेल्फ-अटेस्टेड (अपने हस्ताक्षर)
उत्तराखंड मृत्यु प्रमाण पत्र के क्या लाभ हैं?
उत्तराखडं सरकार ने मृत्यु प्रमाण पत्र के लाभ बताएं हैं। इन लाभों को ध्यान से पढ़े इसकी नीचे हमने सूची दी है। मृत्यु का विवरण देने से कई तरह के फायदे होते है:-
- मृत व्यक्ति को सामाजिक, न्यायिक और सरकारी बाध्यताओं से मुक्त करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत होती है।
- इसके साथ ही मृत्यु के तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए भी जरूरत होती है।
- संपत्ति के विवादों को निपटने के लिया भी इस मृत्यु प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया जाता है।
- मृत्यु के पंजीकरण से आपको बीमा जैसे भी लाभ मिलते हैं।
- आधार कार्ड, पहचान पत्र, पेन कार्ड आदि दस्तावेजों से नाम को निरस्त किया जाता है।
- परिवार को कई प्रकार की सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सकें।
यह सारा फायदा मृतक के परिवार को मिलता है। इन लाभों के साथ-साथ राज्य सरकार अन्य कई तरह की प्रदेश व केंद्र सरकार की योजनाओं हेतु लाभ भी प्रदान करती है।