Social Media Guidelines: .. तो क्या कल से भारत में बंद हो जाएंगे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम अकाउंट!

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कल से लागू होंगे नए नियम
आईटी ऐक्ट की धारा 79 के तहत उन्हें इंटरमीडियरी के नाते लाइबलिटी से छूट मिली हुई है, लेकिन इनमें से कई विषयवस्तु के बारे में फैसला कर रहीं हैं, जिनमें भारतीय संविधान और कानूनों का ध्यान नहीं रखा जा रहा। नए नियम 26 मई, 2021 से लागू होने जा रहे हैं। अगर ये कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करती हैं तो उनका इंटरमीडियरी स्टेटस छिन सकता है और वे भारत के मौजूदा कानूनों के तहत आपराधिक कार्रवाई के दायरे में आ सकती हैं।

देश में काम कर रहीं सोशल मीडिया कंपनियां यानी फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। केंद्र सरकार ने देश में काम कर रहीं सभी सोशल मीडिया कंपनियों को कुछ नियमों का पालन करने के निर्देश दिए थे और उसके लिए तीन महीने का समय भी दिया था, जो 26 मई को पूरा हो रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी कंपनी ने इन नियमों का पालन नहीं किया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या 26 मई के बाद भारत में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया कंपनियां बंद हो जाएंगी…?

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 25 फरवरी, 2021 को सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नए नियमों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में कंप्लायंस अधिकारी, नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए कहा गया था और उन सभी का कार्यक्षेत्र भारत में होना जरूरी रखा गया था। शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाना आदि के नियम हैं।

आदेश मे यह भी कहा गया था कि सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी वेबसाइट या मोबाइल एप पर फिजिकल कॉन्टेक्स पर्सन की जानकारी देनी होगी। अभी तक केवल कू नाम की कंपनी को छोड़ कर किसी अन्य कंपनी ने इनमें से किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है।
भारत में काम के लिए अमेरिका से हरी झंडी…
सोशल मीडिया पर पीड़ित लोगों को यह नहीं पता कि वे किससे शिकायत करें और कहां उनकी समस्या का समाधान होगा। कुछ प्लेटफॉर्म ने इसके लिए छह महीने का समय मांगा है। कुछ ने कहा कि वे अमेरिका में अपने मुख्य कार्यालय से निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, भारत से मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन दिशानिर्देशों के पालन के लिए मुख्य कार्यालय से हरी झंडी का इंतजार करती हैं। ट्विटर जैसी कंपनियां अपने खुद के फैक्ट चेकर रखती हैं, जिनकी न तो पहचान बताती है और न ही तरीका कि कैसे तथ्यों की जांच की जा रही है।

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