पंजाब में चन्नी कांग्रेस के 17वें सीएम आज लेंगे शपथ, दलित चेहरे पर पार्टी ने खेला दांव

Spread the love

रेस में आगे चल रहे अंबिका सोनी, सुनील जाखड़ और सुखजिंदर सिंह रंधावा को पीछे छोड़ते हुए हरीश रावत ने अचानक मुख्यमंत्री के रूप में चमकौर साहिब से विधायक चरणजीत चन्नी के नाम का ट्वीट कर सबको चौंका दिया। इसी के साथ उन दावेदारों के चेहरे भी लटक गए, जिनके यहां दोपहर तक जश्न मन रहा था। 

एक समय तो नवजोत सिद्धू खुद भी सीएम की दौड़ में शामिल थे लेकिन पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने उन्हें यह कहकर शांत कर दिया कि आप प्रधान हैं। आप पर बड़ी जिम्मेदारी है। नाम पर मोहर लगने के बाद रविवार शाम 6.30 बजे चन्नी राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे और उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर विधायक दल का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप दिया। इस मौके पर चन्नी के साथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और पार्टी मामलों के प्रभारी हरीश रावत रहे। सूचना मिलने के साथ ही चन्नी का परिवार भी राजभवन पहुंच गया।

पंजाब में अंत में सामने आए सियासी परिणा को सिद्धू ने ऐतिहासिक बताया है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू ने कहा-ऐतिहासिक, पंजाब का पहला दलित मुख्यमंत्री नामित करने का फैसला इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। यह संविधान और कांग्रेस की भावना का सम्मान है। 
 
कैप्टन के खिलाफ की थी बगावत, पार्षद से की थी शुरुआत

अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे चन्नी उनके धुर राजनीतिक विरोधी रहे हैं। अगस्त में चन्नी के नेतृत्व में ही विधायकों ने अमरिंदर के खिलाफ बगावत की थी। तब उन्होंने साफ कहा था, 
हमें कैप्टन पर भरोसा नहीं है।
रविदासिया समुदाय के चन्नी दलित-सिख हैं। राहुल के नजदीकी हैं। बतौर पार्षद राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत की। दो बार खरड़ नगरपालिका के प्रधान रहे। उन्होंने चमकौर सीट से कांग्रेस का टिकट मांगा। नहीं मिला, 
 आखिर में कांग्रेस का दामन थाम लिया। तो निर्दलीय लड़े और जीते। फिर अकाली दल में शामिल हो गए और
तीसरी बार विधायक। 2015-16 में विधानसभा में नेता-प्रतिपक्ष। सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष बनवाने में निभाई अहम भूमिका।
 

32 फीसदी दलित वोटों पर निगाहें कांग्रेस का बड़ा दांव

सामाजिक समीकरण: पंजाब में 32 फीसदी दलित वोट हैं। पार्टी ने चन्नी के जरिये उन्हें लुभाने की कोशिश की है। शिरोमणि अकाली दल-बसपा ने गठबंधन के बाद दलित डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा की थी। भाजपा पूर्व मंत्री विजय सांपला के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है।

सियासी संदेश: पार्टी दिग्गज अमरिंदर विरोधी चन्नी के चयन से, नेतृत्व की मजबूती का संदेश देने में सफल रही।

अंदरूनी संतुलन: चन्नी के नाम से ही नवजोतसिंह सिद्धू अपनी दावेदारी से पीछे हटने का तैयार हुए। वहीं, सिख बनाम गैर सिख को लेकर पार्टी में बनी टकराव की स्थिति भी फिलहाल टल गई।

पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे
58 वर्षीय चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे। इस शीर्ष पद के लिए नामित होने से पहले कैप्टन मंत्रिमंडल में राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं। चन्नी 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं और मार्च 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
पंजाब से लंबे समय तक राज्यसभा सदस्य रहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने रविवार को पंजाब का सीएम पद स्वीकार करने से पूरे अदब के साथ इंकार कर दिया। उनका मानना है कि पंजाब में किसी सिख नेता को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। पता चला है कि सोनी को दो महीने पहले भी सीएम पद की पेशकश की गई थी, जब पंजाब कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया चल रही थी और उन्होंने उस समय भी इनकार कर दिया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *