PGI मनोचिकित्सा विभाग : छोटी-छोटी बातों पर टूट रहे रिश्ते, परफेक्शन की तलाश में मानसिक रोगी बन रहे युवा,…ऐसे संभालें खुद को…

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Chandigarh: PGI मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. राहुल चौधरी ने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से जीवनसाथी चुनने वाले युवा चंद दिनों में एक दूसरे को समझने का प्रयास करते हैं लेकिन उस दौरान कई ऐसी बातें पता नहीं चलती जो समय के साथ सामने आती हैं। ऐसे में जरूरी है कि वे शादी से पहले किसी भी तरह कि नकारात्मक जानकारी सामने आने पर बिना खुद को दोषी ठहराए उचित निर्णय लें….परफेक्शन की तलाश में बढ़ रहे मानसिक रोग

विस्तार
सबसे बेहतर पाने की इच्छा युवाओं को तनाव का शिकार बना रहा है। फिर वह बेहतरी चाहे कॅरिअर में हो या जीवनसाथी की तलाश में। मौजूदा समय में अच्छे जीवनसाथी की तलाश में एक्सपेरिमेंटल सोच युवाओं को डिप्रेशन का शिकार बना रही है।

ऐसे संभालें खुद को
ब्रेकअप की स्थिति में खुद को यह समझाएं कि अच्छा हुआ जो शादी के पहले ही या पता चल गया वरना पूरी लाइफ पछताना होता।
वही ऐसे मामलों में इन्वाल्व होने से पहले संबंधित लड़के या लड़के की पूरी जानकारी एकत्रित कीजिए। खुद को मजबूत बनाकर ही इस तरफ कदम बढ़ाइए।
तनाव की बातों को दिल में नहीं, दोस्तों में भी बांटें। पर करीबियों का चुनाव दिल से ज्यादा दिमाग लगाकर करें ताकि वे आपकी परेशानी को अपनी समझ सकें।
म्यूजिक, डांस, पेट्स जो भी अच्छा लगे उसके लिए समय निकालें। इससे एक तो मूड फ्रेश रहता है, दूसरा जिस बात से तनाव होता है उससे ध्यान हटता है।
सुबह उठना, योग और एक्सरसाइज करना फायदेमंद साबित हो सकता है।

मनोचिकित्सकों का कहना है कि शादी जैसे महत्वपूर्ण फैसले पर जरूरत से ज्यादा एक्सपेरिमेंटल होना भी ठीक नहीं है क्योंकि मौजूदा समय में परफेक्ट की तलाश करना मिथ्या स्वप्न के समान है। युवा इसे समझे बिना खुद को शादी से पहले अजनबियों के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ रहे हैं। उस दौरान किसी न किसी रूप में सामने आई कोई छोटी सी गलत बात उन्हें अलग कर दे रही है। ऐसे में शादी के पहले मिल रहा ब्रेकअप उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार लड़कों की तुलना में लड़कियां इसका ज्यादा शिकार हो रही हैं। चिंता की बात यह है कि चंडीगढ़ में इस तरह की समस्या तेजी से बढ़ रही हैं। जिस पर काबू के लिए युवाओं को समझदारी के साथ ही अपने अभिभावकों के सहयोग से सफलता पानी होगी।
कामकाजी लड़कियां ज्यादा प्रभावित
कॅरिअर में सफलता प्राप्त कर चुकीं लड़कियां इस तरह की समस्या से ज्यादा प्रभावित हैं। इसमें 30 से 35 साल के बीच की कामकाजी लड़कियां बेहतर जीवन साथी की तलाश में एक्सपेरिमेंटल होती जा रही है। उन्हें यह बात स्वीकार नहीं है कि उनका जीवन साथी किसी मायने में भी उनसे कम हो। यह कहना है पीजीआई मनोचिकित्सा विभाग की पूर्व प्रोफेसर आदर्श कोहली का। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में युवा अपने जीवनसाथी को चुनने से पहले उनके साथ समय गुजारना चाहता है। इस स्थिति में वह उनके साथ इतना इंवॉल्व हो जा रहा है कि ब्रेकअप की स्थिति उत्पन्न होने पर वह डिप्रेशन की स्थिति में चले जा रहे हैं। इस तरह की समस्या चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ रही है।

ऑनलाइन माध्यम ज्यादा खतरनाक
शादी जैसे मामलों में ऑनलाइन माध्यमों से वर वधु की तलाश ऐसे तनाव को बढ़ाने में सहायक साबित हो रही है। यह कहना है पीजीआई मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. राहुल चौधरी का। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से जीवनसाथी चुनने वाले युवा चंद दिनों में एक दूसरे को समझने का प्रयास करते हैं लेकिन उस दौरान कई ऐसी बातें पता नहीं चलती जो समय के साथ सामने आती हैं। ऐसे में जरूरी है कि वे शादी से पहले किसी भी तरह कि नकारात्मक जानकारी सामने आने पर बिना खुद को दोषी ठहराए उचित निर्णय लें क्योंकि यह बात समझना बेहद जरूरी है कि शादी के बाद कानूनी पचड़े में फंस कर पूरे जीवन को तनावग्रस्त बनाने से बेहतर पहले उचित निर्णय लेना है। डॉ. राहुल ने बताया कि ऐसे मामलों में काउंसलिंग की सहायता से तनाव प्रबंधन करना आसान है इसलिए ऐसी समस्या को खुद तक सीमित रखने की बजाय विशेषज्ञ की राय ले।

वर्तमान को स्वीकार करने की डालिए आदत
पंजाबी यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर विनोद चौधरी का कहना है कि इस तरह की समस्या का सबसे बड़ा कारण वर्तमान की बजाय भूत और भविष्य में जीने की आदत है। ऐसे मामलों में कई बार युवा सामने वाले की मौजूदा स्थिति पर भरोसा करने की बजाय उससे जुड़ी भूतकाल की किसी बात को ज्यादा महत्व देने लगते हैं। जिससे इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है। मेरा मानना है कि अगर कोई पहले अनजाने में कोई गलती कर बैठा हो तो उसके लिए उसे पूरी जिंदगी दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की घटनाओं से बढ़ते तनाव पर रोक के लिए सबसे पहले कम्युनिकेशन विदाउट जजमेंट के प्रक्रिया को फॉलो करना होगा। भविष्य की योजनाओं को वर्तमान के आधार पर बनाया जाना चाहिए। वहीं इस तरह की सबसे ज्यादा समस्या अनमेच्योर युवाओं के मामले में सामने आता है। ऐसे में किसी से भी भावनात्मक रूप से जाने से पहले अपनी उम्मीदों और अपेक्षाओं का आकलन कर लें।

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