ध्वस्त होगी 1960 में बनी देहरादून की ‘VVIP’ यमुना कॉलोनी, बनेंगी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग

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Dehradun Yamuna Colony News: वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद पुराने भवनों को नया रंग-रूप देकर इन्हें उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आवंटित किया गया। तब से यमुना कॉलोनी को वीवीआईपी का रुतबा भी मिल गया। 

अविभाजित उत्तर प्रदेश के जमाने में वर्ष 1960 में 25.2 हेक्टेयर भूमि पर बनी यमुना कॉलोनी आने वाले दिनों में कल की बात हो जाएगी। सिंचाई विभाग के प्रस्ताव पर सरकार आगे बढ़ी तो कॉलोनी के जीर्णशीर्ण भवनों की जगह मल्टीस्टोरी बिल्डिंग नजर आएंगी। 

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं। यूपी में सिंचाई विभाग की ओर से किया गया यह प्रयोग सफल रहा है। वहां सिंचाई विभाग की पुरानी कॉलोनियों को ध्वस्त कर पीपीई मोड पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निमार्ण किया जा रहा है। 

सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता दिनेश चंद्रा ने बताया कि इस संबंध में उन्हें निर्देश प्राप्त हुए हैं। यूपी से भी उनका प्रस्ताव मांगा गया है। तमाम बातों का अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। यूपी में इस काम को प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में किया जा रहा है। यहां भी इस बात की संभावनाएं तलाशी जाएंगी कि कैसे कम लागत में एक बड़ी परियोजना तैयार की जाए। इस पर काम शुरू कर दिया गया है। शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया जाएगा। 

यमुना कॉलोनी में हैं 983 आवास  

यमुना कॉलोनी आज भी देहरादून की एक बड़ी पहचान के तौर पर जानी जाती है। यहां 983 आवास स्थित हैं। इनमें से 553 आवास सिंचाई विभाग, 274 यूजेवीएनएल और 99 राज्य संपत्ति विभाग के पास है। इसके अलावा कुछ भवनों में तमाम दूसरे सरकारी कार्यालय स्थापित किए गए हैं। 

माननीयों ने आशियाना बनाया तो वीवीआईपी हो गई कॉलोनी  

वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद मंत्रियों के लिए आवास की समस्या सामने आई तो यमुना कॉलोनी का नाम सबसे पहले आया। इसके बाद यहां तमाम पुराने भवनों को नया रंग-रूप देकर इन्हें उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आवंटित किया गया। तब से यमुना कॉलोनी को वीवीआईपी का रुतबा भी मिल गया। 


इसलिए की गई थी यमुना कॉलोनी की स्थापना 

अविभाजित उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना घाटी के टिहरी बांध, लखवाड़, व्यासी, किशाऊ, मनेली भाली, विष्णुप्रयाग, चीला जैसी महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाओं के सर्वेक्षण एवं नियोजन के लिए यहां मुख्य अभियंता, मंडलीय एवं खंड कार्यालय स्थापित किए गए थे। इसके अलावा तत्कालीन उत्तर प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड) के कार्यालय और आवास भी यहां स्थापित किए गए थे। 

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