आज हम बात करने जा रहे हैं देहरादून की मुख्य समस्या के बारे में जिसका संज्ञान लेना का समय शायद ही यहां के दिग्गज नेताओं या अधिकारियों के पास हो “कूड़ा उर्फ गंदगी ” जो कि विभिन्न प्रकार की है घर की , दुकानों की , होटल एवं रेस्टॉरेंट की , फैक्ट्री की , हास्पिटल की , खराब इलेक्ट्रॉनिक आदि ।
जिसके निस्तारण के लिए कई साल या यूं कहीं 10-15 सालो से मेयर व अधिकारियों की मीटिंग ही चल रही है । अब विधायक या पार्षद को तो कुछ कोई कह नही सकता सभी की मंजूरी से ही स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में शराब की दुकान खुली है देसी व इंगलिश । कमाई के लिए सब ताक पर पर अभी तक ” Waste recycling Machine ” को ज्यादा संख्या में लगवाने की सुध किसी को नही । स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून का युवा झुनझुना लिए घूम रहा है । शायद विधायक चुनाव से एक साल पहले जनता को दिखाने को धड़ा धड़ सिटी को स्मार्ट बना दें पर मंशा साफ है ।
कितनी ही गालियां है देहरादून स्मार्ट सिटी की जहां से कूड़ा भी नही उठता । ये नही की सिर्फ सरकार निकम्मी है लोग भी उतने ही कसूरवार हैं ।e-waste की समस्या आने वाले समय मैं भयावह होने वाली है । अभी भी नदी नालों मैं कूड़ा आटा पड़ा है । अब रिस्पना नदी को ही देख लो ।
कमी हमारे समाचार पत्रों की भी है जो विज्ञापन के चक्कर में सरकार के विरुद्ध बोल नही पाते मुद्दा चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो । आज देहरादून मैं थोड़ी सी बारिश से water logging की समस्या हो जाती है जो पानी पहले कूलों के माध्यम से निकल जाता था अब सडको पर ही रह जाता है, जरूरत है एक अभियान के तहत जितनी कुलें प्लॉटिंग के चक्कर में बंद या मोड़ी गयी हैं जिसकी NOC नगर निगम ने दी हैं खोली जानी चाहियें ।
कहने को बहुत कुछ है पर मंशा कम और संशय ज्यादा दिखाई देता है आज के जनप्रतिनिधियों के मन में । देवभूमि में खनन एवं शराब से ज्यादा राजस्व पर्यटन से आ सकता है , सम्भवना बहुत हैं पर प्रयास न के बराबर ।