प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांचवीं कक्षा तक स्कूल खोले जाने के प्रस्ताव पर आशंकाओं के बादल मंडरा रहे हैं। बदले हालात में विद्यालयी शिक्षा विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से परामर्श मांगा था। स्वास्थ्य विभाग ने जो परामर्श दिया है, उसने विद्यालयी शिक्षा विभाग को असमंजस में डाल दिया है।
दरअसल, छोटे बच्चों के मामले में सरकार कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होने पर ही राज्य सरकार ने चरणबद्ध ढंग से पहले नौवीं से 12वीं तक और फिर छठी से नौवीं तक की कक्षाओं को खोलने का फैसला किया। इसके बाद विभाग की पहली से पांचवीं तक कक्षाएं शुरू करने की तैयारी थी। निजी स्कूल संचालक भी स्कूल खोले जाने के पक्ष में रहे हैं। वे सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं।
लेकिन पिछले एक पखवाड़े से देशभर में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। प्रदेश में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। मैदानी जिलों से संक्रमण अब पहाड़ भी पहुंच गया है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 महामारी की रोकथाम की मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को कड़ाई से लागू कराना पड़ रहा है।