भारत से कम आबादी, फिर भी अधिक GDP, पढ़ें ASEAN से जुड़े दिलचस्प आंकड़े

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इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह ऐतिहासिक होने जा रहा है. आसियान समूह के दस देशों के प्रमुख कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने नई दिल्ली पहुंचे हैं. गुरुवार को सभी देशों के प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात करेंगे. शुक्रवार को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल भी होंगे. आसियान देशों और भारत के बीच संबंधों के 25 साल पूरे हो रहे हैं. इसके अलावा भी इन देशों से जुड़े कुछ दिलचस्प आंकड़े हैं. यहा पढ़ें…

पहली बार 10 आसियान देशों के प्रमुख गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि

ऐसा अब तक दो बार हुआ है कि एक से अधिक देश के प्रमुख मेहमान हो

सिंगापुर समेत 10 देश शामिल

आसियान देशों की कुल आबादी – 64 करोड़

आसियान देशों की कुल जीडीपी – 213 लाख करोड़

भारत की कुल जीडीपी – 159 लाख करोड़

भारत की आबादी – 130 करोड़

कारोबार

आसियान देशों संग कुल कारोबार – 5.2 लाख करोड़

अलग-अलग देशों संग कारोबार

मलेशिया : 58 हज़ार करोड़ का कारोबार.

ब्रूनेई : 2.6 हज़ार करोड़ का कारोबार.

कंबोडिया : 806 करोड़

लाओस : 581 करोड़

इंडोनेशिया :  70 हजार करोड़

सिंगापुर : 62 हजार करोड़

म्यांमार : 8 हजार करोड़

थाईलैंड : 37 हजार करोड़

फिलीपींस : 8.1 हजार करोड़

वियतनाम : 32 हजार करोड़

क्या है आसियान?

8 अगस्त, 1967 को इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने साथ मिलकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह यानी आसियान का गठन किया था हालांकि तब इस बात का अनुमान नहीं था कि यह संस्था जल्द ही अपनी खास पहचान बना लेगी. अब तक आसियान के 31 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं.

10 सदस्यों वाली इस संस्था का मुख्य मकसद दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, राजनीति, सुरक्षा, संस्कृति और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना था.

आसियान का दायरा 44 लाख स्क्वायर किमी में फैला है, जो क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया की 3 फीसदी एरिया कवर करता है. इस संगठन में 63 करोड़ से ज्यादा की आबादी रहती है.

जीडीपी के लिहाज से 2014 में यहां की जीडीपी औसतन 7.6 ट्रीलियन डॉलर है. भारत और आसियान को मिलाकर देखा जाए तो दोनों क्षेत्रों में 180 करोड़ की आबादी रहती है. संयुक्त रुप से जीडीपी 2.8 ट्रिलियन डॉलर हो जाती है.

यह सही है कि आसियान एक विकासशील देशों का गुट है लेकिन आज गैर-सदस्य अमेरिका, चीन और जापान जैसे संपन्न देश इसमें खासी रुचि रखते हैं. वहीं भारत भी इसका सदस्य नहीं होने के बावजूद आसियान के साथ लगातार बेहतर संबंध बनाए रखने की कोशिश में जुटा है.

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