सम्पादकीय … जहाँ एक ओर सरकार की मंशा चुनाव को देरी से कराने की है वही कोंग्रेस अपनी चुनावी प्रक्रिया को लगातार जारी रखे है , मेयर व पार्षद उम्मीदवार अपनी दावेदारी का आवेदन लगातार प्रदेश कार्यालय मैं कर रहे हैं नगर निगम का कार्यकाल समाप्ति के कगार पर है पर ना आचार संहिता लगी ना चुनाव आयोग से कोई तिथि घोषित ऐसे मैं कोर्ट का 24 को आने वाला फ़ैसला महत्वपूर्ण रहेगा ।परिसीमन का ख़ाका जो बन चुका है वो कही ना कहीं भाजपा ने अपने हिसाब से बनाया है इसलिए उसमें बदलाव की उम्मीद कम ही है ।
वहीं एक बार फिर कोंग्रेस मैं घमासान देखने को मिल सकता है अभी तक आए आवेदनों मैं जो आवेदन मेंयर पद पे आए हैं उनसे भी कहीं श्श्क्त उम्मीदवार अभी चुप्पी साधे हुए हैं ज़ाहिर है आरक्षण पर निगाहें जमाए बेठे ये दिग्गज आवेदनकर्ताओं की लाइन मैं लगने से पहले सारे समीकरण की जोड़ तोड़ मैं लगे हैं । दूसरा पहलू बढ़े हुए छेत्र मैं चुनावी ख़र्च 5-7 करोड़ तक जाने का अनुमान है तो उम्मीदवार भी करोड़ोंपति तो होना ही चाहिये नहीं तो विपक्षी दल को टक्कर देना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है जहाँ उमेश अग्रवाल व अनिल गोयल जैसे दिग्गज जो अभी तक प्रचार के लिए होर्डिंग एवं बेनर मैं कई लाख रुपए बहा चुके हैं ।
यही हाल पार्षद उमीदवारी का भी है जहाँ नए नेता उम्मीदवार दिख कर ही ख़ुश हैं वहीं अपने-अपने छेत्र के दिग्गज कोंग्रेसी नेता माने जाने वाले या यूँ कहें जिताऊँ कैंडिडट कोंग्रेस कार्यालय पर कम ही दिखाई दे रहे हैं। अभी तक के समीकरण मैं कोंग्रेस की अंदरूनी गुटबाज़ी रुकने का नाम नहीं ले रही जहाँ प्रव्य्क्शक तिलक राज बहड व संजय पालिवाल के स्वागत मैं रखी गयी सभा छींटाकसी मैं बदल गयी थी ओर बड़े-छोटे नेताओ मैं कोई तालमेल नहीं दिखा । इन सब पहलुओ को देखते हुए ये कहना मुश्किल होगा की देहरादून नगर निगम कोंग्रेसी एक जुट होकर चुनाव लड़ पाएँगे जबकि बढ़े हुए छेत्र में इस समन्वय के बिना चुनाव लड़ना बेहद मुश्किल है । वहीं हेवीवेट कैंडिडट माने जा रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल एवं प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धसमाना के इलावॉ भी कई दावेदार हैं जैसे ….. पूर्व महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा , प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट , महानगर अध्यक्ष पृथ्वीराज चौहान ,किसान कोंग्रेस से राजेश शर्मा , प्रदेश सचिव आज़ाद अली व दीप वोहरा ….नज़मा खान पिछड़े कोटे से हैं ,आशा मनोरमा शर्मा सामान्य सीट महिला की प्रबल उम्मीदवार हैं वही महिला आरक्षित सीट होने पर आशा टमटा , सुनिता प्रकाश एवं महानगरअध्यक्ष कमलेश रमन की दावेदारी मज़बूत दिखाई दे रही है दावेदार तो बहुत हैं पर वास्तविकता ये है की कई खेमों मैं बँटी कोंग्रेस क्या नगर निगम संग्राम जीत पाएगी ।