आम आदमी पार्टी द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार नदी, नालों व तालाबों के क्षेत्र में रह रहे रहवासियों को हटाने की स्थिति में उनके विस्थापन व पुनर्वास की माँग राज्य सरकार से की गयी है।
आम आदमी पार्टी की प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नगर निगम द्वारा नदी, नाले व तालाब क्षेत्र में बसे लगभग ग्यारह हजार परिवारों को जगह खाली करने के नोटिस दिये गये हैं। परन्तु शासन को यह भी देखना चाहिये कि ग्यारह हजार परिवारों के विस्थापन व पुनर्वासन की क्या नीति व व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि सन् 2005 में कोर्ट के आदेश पर नदी-नाला क्षेत्र में आबादी की बसावट का चिन्हीकरण किया गया था। पूर्ववर्ती काँग्रेस-भाजपा की सरकारों, जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया। वोट बैंक की राजनीति के कारण काँग्रेस-भाजपा के नेताओं ने रहवासियों को मालिकाना हक दिलाने का वादा कर बिजली, पानी, राशन कार्ड व अन्य सुविधायें उपलब्ध करा दीं और अब आबादी बाहुल्य क्षेत्र हो जाने पर उन्हें निर्वासित किया जा रहा है।
श्री पिरशाली ने कहा कि इस निर्वासन से समाज के निचले तबके का एक बहुत बड़ा वर्ग प्रभावित हो रहा है और उनके सामने जीवन निर्वहन का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि अंतत: किसी भी सरकार व शासन-प्रशासन का नैतिक दायित्व है कि वह समग्र जनहित व जनभावनाओं के साथ मिलकर कार्य करे।
अत: आम आदमी पार्टी राज्य सरकार व शासन-प्रशासन से माँग करती है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुये मानवीय आधार पर नदी-नाला क्षेत्र से निर्वासित रहवासियों के पुनर्वासन व विस्थापन की ठोस नीति बनाने के पश्चात ही कोई अग्रिम कार्यवाही की जाये।