हिंदू-दुलहन और मुस्लिम-दूल्हा दोनों एक ही समारोह में शादी करने जा रहे थे। यहां पहले हिंदू परंपरा के अनुसार हो रही थी, उसके बाद मुस्लिम रीति-रिवाजों से शादी होनी थी। एसीपी (दक्षिण) सुरेश चंद्र रावत ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस को ऐसी सूचना मिली थी कि बुधवार को पारा इलाके की डूडा कॉलोनी में अंतरधार्मिक विवाह हो रहा है। इस पर पुलिस दल वहां पहुंचा तो पाया कि शादी की तैयारियां हो रही थी। पुलिस ने दोनों परिवारों को शादी के लिए आवश्यक कानूनी कार्रवाई पूरी करने को कहा, जिस पर परिजन राजी हो गए।
एसीपी साउथ रावत ने बताया कैमिस्ट्री में पढ़ी रैना गुप्ता और पेशे से फार्मासिस्ट मोहम्मद आसिफ की शादी की तैयारियां चल रही थी। पुलिस ने दोनो परिवारों को पारा पुलिस थाने बुलाया और उन्हें उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 (UP Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020) के बारे में जानकारी दी। पारा इलाके की पुलिस ने इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है, क्योंकि दोनों परिवार शादी टालने को राजी हो गए।
योगी सरकार ने जारी किया अध्यादेश
विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में लाया गया है, जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डाल कर विवाह करने के लिए किया जा रहा हो। इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया गया है। अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद तथा 15,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
वहीं, नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपए जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपए जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रारूप में दो महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी। इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपए जुर्माने की सजा तय की गई है।