लीवरपूल यूनिवर्सिटी के इन्फेक्शन एंड ग्लोबल हेल्थ के चेयरमैन प्रो. जूलियन हिसकॉक्स के मुताबिक, ‘कोरोना (Corona) वायरस हर समय म्यूटेट (उत्परिवर्तित) होते रहते हैं। अगर कोविड-19 के नए प्रकार उभर कर सामने आ रहे हैं तो ये कोई नई बात नहीं है।’
कोविड-19 चीन से होकर पूरी दुनिया में फैल गया, ठीक वैसे ही उसका नया स्ट्रेन (प्रकार) भी ब्रिटेन से होकर कई देशों में फैल गया है, जिसमें डेनमार्क से लेकर नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली तक शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन देशों में भी नए कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है। वैरिएंट लगभग 40-70% अधिक ट्रांसमिसेबल
पिछले साल चीन में जब पहली बार जो कोरोना वायरस मिला था, उसके बाद से इसके कई नए रूप भी देखने को मिले हैं। इसमें सबसे आम है वायरस का D614G प्रकार। यह फरवरी में यूरोप में मिला था और फिलहाल दुनियाभर में सबसे ज्यादा कोरोना का यही प्रकार मिलता है। इसके अलावा कोरोना का एक और प्रकार था, जो जो यूरोप में ही फैला था। इसका नाम A222V था।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का जो नया प्रकार ब्रिटेन में मिला है, वो बहुत ज्यादा बदला हुआ है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसका कारण ये हो सकता है कि ये नया प्रकार किसी ऐसे मरीज के शरीर में जाकर बदला, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर थी और वो वायरस को खत्म नहीं कर सका। ऐसे मरीजों के शरीर में ही वायरस मजबूत हो गया
क्या नए प्रकार पर वैक्सीन काम करेगी ?
यूके सरकार के एडवाइजरी बॉडी, न्यू एंड इमर्जिंग रेस्पिरेटरी वायरस थ्रेट्स एडवाइजरी ग्रुप (NERVTAG) ने इस संबंध में एक पेपर भी निकाला है. NERVTAG पेपर के जवाब में डॉ टैंग ने कहा, “हम किसी भी बढ़ी क्लिनिकल गंभीरता या S (स्पाइक प्रोटीन) में कोई भी स्थूल परिवर्तन नहीं देख रहे हैं, जो वैक्सीन की प्रभावशीलता को कम करेगा.”
इस बात से वेलकम ट्रस्ट के निदेशक डॉ. जेरेमी फरार सहमत हैं, लेकिन एक चेतावनी जारी करते हैं, “फिलहाल, कोई संकेत नहीं है कि यह नया स्ट्रेन उपचार और वैक्सीन से बच जाएगा. हालांकि, उत्परिवर्तन वायरस की अनुकूलन शक्ति का एक रिमाइंडर है, और जिसे भविष्य में खारिज नहीं किया जा सकता है.”