उत्तराखंड प्रदेश में पर्यटन का सबसे अहम समय अप्रैल से जून होता है। कोरोना से पहले नैनीताल और मसूरी इन तीन महीनों में पूरी तरह पैक रहते थे। बीते साल ठीक इसी समय पर कोरोना ने पर्यटन कारोबार की कमर तोड़ दी थी। बड़ी संख्या में होटल कारोबार से जुड़े लोग बेरोजगार हुए थे। यही वजह थी कि इस साल से पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों को बड़ी उम्मीद थी। लेकिन कोरोना ने फिर कारोबार की कमर तोड़नी शुरू कर दी है।
नैनीताल के होटल कारोबारियों के अनुसार नई गाइडलाइन के बाद 40 फीसदी तक बुकिंग रद हो गई हैं। मसूरी में एडवांस बुकिंग करा चुके 35 फीसदी लोगों ने उत्तराखंड आने से तौबा कर ली है।
छोटे पर्यटन स्थलों का बुरा हाल
नैनीताल-मसूरी के अलावा छोटे पर्यटन स्थलों का भी बुरा हाल है। रामनगर के आसपास के ढाई सौ रिजॉट्र्स और होटलों में रोज बुकिंग कैंसिल हो रही हैं। भवाली की स्थिति और खराब है। यहां 40 से अधिक यानी करीब 75 फीसदी होटलों के पास कोई बुकिंग नहीं है। जिनके पास एडवांस बुकिंग थी, उनमें भी 70 फीसदी कैंसिल हो गईं। इसी तरह भीमताल के रिजॉर्ट भी 50 फीसदी तक खाली चल रहे हैं।
इनको लगा बड़ा झटका
पर्यटन कारोबार गिरने से सबसे अधिक नुकसान होटल, रेस्टोरेंट, फड़ कारोबारियों और टैक्सी चालकों को हुआ है। नैनीताल में नाव चलाने वाले, स्ट्रीट वेंडर्स सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। नाव चालक एसोसिएशन सचिव नरेंद्र चौहान ने बताया कि बीते दो दिनों में चार हजार पर्यटकों ने नौकायन किया।
अप्रैल में तेजी से बुकिंग कैंसिल हो रही हैं। आगे के लिए भी बुकिंग नहीं मिल रही हैं। ये चिंता का विषय है। इसका असर आगामी चारधाम यात्रा पर भी पड़ेगा। पिछले साल नुकसान उठाने वाले कारोबारियों को इस साल से बड़ी उम्मीद थी। – संदीप साहनी, अध्यक्ष, उत्तराखंड होटल एसोसिएशन
जनवरी से मार्च तक होटलों में अच्छी संख्या में पर्यटक आ रहे थे। नई गाइड लाइन के चलते सैलानी कम हुए हैं। कोरोना मरीज बढ़ने से होटलों में 30 से 40 प्रतिशत बुकिंग कैंसिल हुई है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के पर्यटक सर्वाधिक बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं। – दिनेश साह, अध्यक्ष, नैनीताल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष