5 जून 2018 दिन मंगलवार को उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कार्यालय में थराली विधानसभा उपचुनाव मैं हार के कारणों की समीक्षा की गई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने की तथा संचालन केंद्रीय महामंत्री बहादुर सिंह रावत ने किया!
प्रातः 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक चली 3 घंटे की गहन समीक्षा बैठक में थराली विधानसभा उपचुनाव के हार के कारण, चुनावी नतीजों से नफा नुकसान, हार से सबक तथा भविष्य की रणनीति पर चर्चा की गई!
समीक्षा बैठक में थराली विधानसभा प्रत्याशी कसबी लाल शाह, संरक्षक बीडी रतूड़ी, संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पवार, महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री, केंद्रीय महामंत्री डी के पाल, केंद्रीय महामंत्री जयदीप भट्ट केंद्रीय महामंत्री किशन सिंह रावत, केंद्रीय महिला प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वरी चौहान, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष दीपक गैरोला, जिला अध्यक्ष अब्बल सिंह भंडारी, केंद्रीय सोशल मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश जोशी, उत्तराखंड छात्र सभा के केंद्रीय अध्यक्ष गणेश भट्ट ,पौड़ी जिला अध्यक्ष सुबोध पोखरियाल, युवा नेता भास्कर बहुगुणा, गौरव उनियाल ,मानवेंद्र सिंह रावत, विक्रम सिंह खत्री, राजू बिष्ट, सुनील ध्यानी समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शिरकत करी !
बैठक का निष्कर्ष निम्नवत है!
थराली उपचुनाव के हार की समीक्षा
1- प्रत्याशी के चयन में अरुचि, देरी और संशय।
2- कमजोर चुनाव संचालन समिति।
3- संसाधनों की कमी।
4- प्रत्याशी द्वारा कमजोर बूथ प्रबंधन।
5 – चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति पर विवाद।
6 – चुनाव के दौरान गांव बसाओ राज्य बचाओ यात्रा का संचालन।
7 – स्टार प्रचारकों और चर्चित चेहरों की चुनाव प्रचार में नियुक्ति ना करना।
8- चुनाव से पहले ही केंद्रीय नेताओं द्वारा हार मान लेना।
थराली उपचुनाव में उक्रांन्द को फायदा
1- 1000 नए कैडर वोटर मिले
2- थर्ड फ्रंट का तमगा बरकरार रहा।
3 – भविष्य में उक्रांन्द के सफल होने की उम्मीद बरकरार है।
थराली उपचुनाव से सबक
1- 2000 से अधिक वोटो को प्राप्त करने हेतु आवश्यक धन और संसाधन खर्च करना होगा।
2- बिना व्यक्तिगत निमंत्रण के कोई समय खर्च नहीं करता।
3- प्रत्याशी का चेहरा और रणनीति एक माह पूर्व तय होना चाहिए।
4- जोड़ तोड़ की राजनीति किये बिना वोट बैंक नहीं बढ़ेगा।
5 – जनता हल्का नहीं मजबूत विकल्प चाहती है।
6 – थराली चुनाव के दौरान सिर्फ 10 लोगों की टीम ने 1000 नए लोग जोड़े है। अर्थात 100 लोगो की टीम से 10000 नए वोटर यूकेड़ी में जुड़ सकते थे।
भविष्य की रणनीति
1- नगर निकाय चुनाव होने से पूर्व किसी भी क्षेत्रीय दल से गठबंधन की कोशिश करनी चाहिए।
2 – अध्यक्ष सहित सिर्फ मजबूत वार्डों पर चुनाव लड़ना चाहिए।
3 – उक्रांन्द के पूर्व में रहे दिग्गज नेताओं की इसी वर्ष घर वापसी होनी चाहिए।
4 – भाजपा या कांग्रेस से असंतुष्ट अथवा निर्दलीय दिग्गज नेताओं को उक्रांन्द में शामिल करने हेतु प्रयास किये जायें।
5 – 2019 में पांच लोकसभा सीटों में किसी भी एक मजबूत सीट पर लड़ने की घोषणा उक्रांन्द को जल्द करनी चाहिए। इस हेतु कांग्रेस या अन्य क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन जरुरी है।
6 – केंद्रीय नेताओं को उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी, मूल निवास, चकबन्दी, बाँध परियोजनाओं पर रोक, शराबबंदी आदि पुराने मुद्दों से थोड़ा हटकर नए अभिनव मुद्दों पर राजनीति करनी चाहिए।
7 – 2019 पंचायती चुनावों में उक्रांन्द के बैनर तले जिला पंचायत सदस्यों को चुनाव लड़ाना चाहिए और जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट हासिल करने हेतु कोशिस होनी चाहिए।
8 – समीक्षा बैठकों मे स्वीकार किए गए प्रस्तावों की कार्यवाई गतिविधि पर नजर रखने हेतु एक पैनल तैयार करना चाहिए जो समय समय पर केंद्रीय अध्यक्ष को अपडेट देते रहें।